नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को लगाएं इन चीजों का भोग

 

हिंदी पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार इस बार 9 अक्टूबर को तृतीया और चतुर्थी तिथि दोनों दिन की पुजा एक ही दिन की जायेगी. देवी मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित हो रहा है. इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है.

 

मां चंद्रघंटा  सिंह पर विरजमान हैं  और इनके दस हाथ हैं. इनके चार हाथों में कमल फूल, धनुष, जप माला और तीर है. पांचवा हाथ अभय मुद्रा में रहता है. वहीं, चार हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है. पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है. कहा जाता है कि माता का यह रूप भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी है.

 

मां चंद्रघंटा के मंत्र: इनकी पूजा निम्नलिखित मंत्रो के द्वारा की जाती है. भक्तों को इनकी पूजा करते समय इस मंत्र का जाप कम से कम 11 बार करना चाहिए.

 

मंत्र: 1- पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

 

मंत्र: 2- या देवी सर्वभू‍तेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान मंत्र:

 

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्। सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

 

मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

 

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥

 

प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्। कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

 

मां चंद्रघंटा का भोग: मां चंद्रघंटा को मीठी खीर बेहद प्रिय है. अगर इस दिन मां की पूजा के समय गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगायें  तो माता अति प्रसन्न होंगी. कहा जाता है कि अगर इस दिन कन्याओं को खीर, हलवा या स्वादिष्ट मिठाई खिलाया जाए तो मां बेहद प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से व्यक्ति हर बाधा से मुक्त हो जाता है.