लखनऊ: पहले जनता दरबार, फिर चुनाव प्रचार

 

विधान केसरी समाचार

लखनऊ। यूं तो उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्रियों कैबिनेट मंत्रियों की कमी नहीं है और न हीं अधिकारियों की कोई कमी है लेकिन उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लिए जहां चुनाव प्रचार जरूरी है वही जनता दरबार भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। गरीब घर में जन्म लेने के कारण उनको पता है कि गरीबों को सरकार से कितनी उम्मीद रहती हैं, उन्हें यह भी पता है कि अपने जिले से लखनऊ आने वाले शिकायत कर्ताओं को कितनी आर्थिक व शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, उन्हें इसकी भी जानकारी है कि गांव गरीब को किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है तभी तो वे जब लखनऊ होते हैं और उन्हें सुबह उत्तर प्रदेश के किसी भी जनपद में चुनाव प्रचार को जाना पड़ता है तो उस दिन जल्दी तैयार होकर दूरदराज से आए शिकायत कर्ताओं की शिकायते सुनना शुरू कर देते हैं। कल भी कुछ इसी रास्ते पर चलकर उन्होंने बलिया व देवरिया के किसान सम्मेलन व पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में जाने से पहले अपने आवास पर आए शिकायत कर्ताओं की शिकायते सुनी और शिष्टाचार भेंट को आए लोगों से मुलाकात भी की खास बात यह रही कि जब उन्होंने भारी भीड़ देखी तो अपनी कार्यशैली के अनुसार खुद शिकायत कर्ताओं के पास जा पहुंचे और एक एक शिकायत कर्ता की शिकायत सुन उसका निस्तारण करने का प्रयास किया।

 

 

बताते हैं कि उत्तर प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनने के श्री मौर्य ने सोमवार व मंगलवार का दिन शिकायत कर्ताओं के लिए आरक्षित किया है यदि कोई बड़ी मजबूरी न हों तो इन दोनों दिन शिकायत कर्ताओं की शिकायते सुनना नहीं भूलते।उनका प्रयास रहता है कि किसी शिकायत कर्ता को किराया और समय खर्च करके दुबारा न आना पड़े हलाकि सरकार के अन्य मंत्री भी शायद यही प्रयास करते होंगे लेकिन शिकायत कर्ताओं की शिकायते सुनने में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कोई सानी नहीं है।

 

मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि लोग जब स्थानीय अधिकारियों के पास जाकर थक जाते है और अपनी समस्या निस्तारण का कोई रास्ता नहीं दिखाई देता तो लखनऊ राजधानी का रूख करना उनकी मजबूरी बन जाती है ऐसे में राज्य मुख्यालय पर भी उनकी सुनवाई न हो तो निराश होना स्वाभाविक है शायद यही वजह रहती कि उपमुख्यमंत्री किसी भी तरह से उनको समय देना अपनी सरकार का नैतिक कर्तव्य समझते हैं। यही कारण रहा कि जब वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए तो उत्तर प्रदेश के ओबीसी एससी एसटी सहित सामान्य वर्ग के गरीबों में भी उनकी मजबूत पैठ बनी जिसका परिणाम भाजपा को 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में सवा तीन सो सीटें जीतकर मिला और सज्जनता व सादगी का यह खिलखिलाता चेहरा उपमुख्यमंत्री बन बैठा जिसे बिना किसी राग द्वेष के पूरी सरकार में चलाया।