अंबेडकरनगरः जिले में 38 लाख से अधिक लगाए जाएंगे पौधे

विधान केसरी समाचार

अंबेडकरनगर। जनपद में प्रति वर्ष धरती को हरा भरा करने में करोड़ो रुपए प्रतिवर्ष खर्च किए जाते हैं। ग्रामसभा की खाली पड़ी जमीन हो या फिर तालाब का किनारा अथवा विद्यालय परिसर सभी जगह पर योजना के धन से पौध इस बार भी रोपित किए गए। जो कुछ दिनों बाद हर बार की तरह नजर नहीं आते। सही मायने में धरती में हरियाली आए या न आए पर जेबों में हरियाली आना तय है।एक बार फिर पौध रोपण के लिए भारी भरकम बजट तैयार है। जिसके लिए वन विभाग ने अपनी तैयारी शुरु कर दी है. लेकिन पर्यावरण के जानकार सरकारों के इन दावों पर सवाल उठा रहे हैं कि अगर इतने पौधों का रोपण किया जाता तो फिर नए लगाने के लिए जगह बचती ही नहीं। होने वाले वृक्षारोपण पर सवाल उठाते हैं। वह कहते हैं कि वन विभाग जितने पौधों का रोपण करता है, उनकी रक्षा करना भी विभाग का ही काम है. वन विभाग ने राज्य बनने के बाद जितने पौधे रोपे हैं अगर वह हो वृक्ष बनते तो अब वृक्षारोपण के लिए जगह ही नहीं होनी चाहिए थी।प्रत्येक ग्राम पंचायत में पौध रोपण पर खर्च करने की तैयारी भी कर ली गई है। सब कुछ तय होने के साथ ही हरियाली के नाम पर धन को ठिकाने लगाने के लिए निजी नर्सरी संचालक और प्रधानों और वीडीओ के बीच वार्ता शुरू हो गई है। इतना ही नहीं पौधों के सरंक्षण के लिए मजदूर भी कागजों पर ही नजर आते हैं। घटते वनक्षेत्र और पर्यावरण संतुलन को देखते हुए शासन द्वारा प्रत्येक वर्ष पौधरोपण के लिए अभियान चलता है। इसके तहत ग्रामसभा से लेकर उनके मजरों तक की खाली जमीनों पर पौधरोपण किया जाता है।

खर्च का पता, पौधे कहा गए कुछ पता नहीं

ग्राम पंचायतों में पौधरोपण ग्रामसभा की खाली पड़ी जमीन तालाबों और विद्यालयों में प्रत्येक वर्ष लाखों रुपए खर्च कराया जा रहा है। इन वर्षो में पौध की खरीद के साथ ही गांवों में पौधों को लगवाने के लिए गड्ढों की खुदाई तक का बजट तय किया जाता है। इसपर खर्च का तो पंचायतों में वर्ष वार लेखा जोखा है लेकिन इस खर्च में कितने गड्ढे कहा खुले और कितने पौधे लगे यह किसी को जानकारी नहीं है।

पौधों का पता नहीं देखरेख करने वाले पा गए मजदूरी

पौधरोपण को लेकर सबसे मजेदार बात यह है कि प्रत्येक वर्ष पौधों के देखरेख और सिचाई कराने के लिए मजदूरों की भी तैनाती की जाती रही है। इसके बावजूद गांवों में पेड़ नहीं है। फिर भुगतान मजदूरों के नाम पर किया गया। शायद यही कारण है कि यह सवाल आते ही प्रधान और कर्मचारी बगले झांकने लगते हैं।

उन्हीं स्थानों पर होता रहा हर वर्ष पौधरोपण

लगभग प्रत्येक वर्ष होने वाले पौधरोपण अभियान में स्थान का चयन ही सारी पोल खोलने के लिए काफी है। जानकारों की माने तो लगभग हर बार स्कूल, पंचायत भवन से लेकर दूसरे खाली स्थानों पर पौध रोपण हर बार किया जाता है। लेकिन जब उन स्थानों पर देखा जाए तो पौधे वहां पर नजर नहीं आते हैं। मजे की बात यह है कि इस हकीकत को देखते के बाद भी अधिकारी मौन रहते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हर बार रोपित होने वाले पौधे गए तो कहा गए जब उनकी देखरेख के नाम पर भी बराबर धन खर्च होता रहा।