देश सभी का तो गैरबराबरी क्यों ?

 

मैं उत्तर प्रदेश में एक नही कई बार कैबिनेट मंत्री रह चुका हूं और देश की आबादी लगभग डेढ़ सौ करोड़ के आसपास है किसी भी दल की सरकार रही हो सभी ने किसी भी जाति धर्म व सम्प्रदाय से भेदभाव रहित सरकार चलाने की शपथ ली लेकिन मैं देखता आ रहा हूं कि शपथ लेने के बाद शायद ही कोई दल ऐसा रहा हो जिसने बिना किसी भेदभाव के काम किया हो ।

मैं दावे के साथ कह सकता हूं यहां जातिगत या धार्मिक ही नहीं शैक्षिक व स्वास्थ्य को लेकर भी जमकर भेदभाव किया जाता रहा है। मैं यह नहीं कहता कि वर्तमान सरकार में ही भेदभाव किया जा रहा है इससे पहले भी जिस दल की सरकार रही कोई भेदभाव करने में पीछे नहीं हटी। जिस कारण देश की पिचासी प्रतिशत आबादी को आजादी के पिचहतर साल बीतने के बाद भी मूलभूत अधिकार नहीं मिल सके।

मैं यहां यह भी बताना उचित समझता हूं कि देश की अस्सी प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती हैं और उसके बच्चे गांव के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ते हैं लेकिन आजादी के बाद से अब तक प्राइमरी शिक्षा का स्तर किसी से छिपा नहीं है। गांव में गरीब अच्छी स्वास्थ्य सेवा न मिलने के कारण किस तरह समय से पहले जान छोड़ देते हैं सभी अवगत हैं। आज किस तरह लोग महंगाई के कारण दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हैं चाहकर भी नीचले पायदान का व्यक्तित ही नहीं मध्यम वर्ग आदमी भी मनपसंद शाक सब्जी खाना फल फ्रूट आदि नहीं खा सकता, शिक्षा इतनी व्यवसाई हो गई है कि बच्चों को अच्छे विद्यालयों में पढ़ाना मुश्किल है यदि वाकई सरकार या सरकार के मंत्री अपनी मंत्री पद की उस शपथ को याद करके सोचें तो मेरे कथन को सही पायेंगे।

मैं यह भी दावे के साथ कह सकता हूं हमारे देश या प्रदेश में सरकार की आय के संसाधनों की कमी नहीं है यदि कमी है तो निष्पक्ष सोच की, बिना भेदभाव के काम करने की, मैं मानता हूं कि मैं भी सरकारों में शामिल रहा हूं और शामिल रहने वाला व्यक्ति अपनी विचारधारा के साथ काम नहीं कर सकता, उसे सम्बंधित पार्टी लाइन पर चलना होता है यदि प्रधानमंत्री या कम से कम मुख्यमंत्री बन जाऊं तो देश या प्रदेश के समस्त लोग मेरे परिवार के सदस्य होंगे और किसी को उसके मूलभूत अधिकारों में कमी नहीं होगी। प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार शिक्षा स्वास्थ्य बिजली पानी घर सरकार की जिम्मेदारी होगी। मैंने गरीबी को नजदीक से देखा है इस लिए सरकारों से निष्पक्ष काम करने की अपेक्षा करता हूं। इसीलिए कभी कभी विवाद भी हो जाता है। वर्तमान दौर में न सिर्फ देश बल्कि देश की पूरी आबादी बुरे वक्त से गुजर रही है वर्तमान भारत सरकार केवल विपक्ष को समाप्त करने पर तुली है जबकि निष्पक्ष सरकार की जितनी जिम्मेदारी अपनी पार्टी की मजबूती के लिए है तो विपक्ष को मजबूत रखना भी स्वस्थ लोकतंत्र को जिंदा रखने की पहचान है देश को मजबूत रखना तो सर्वोपरि है सभी को पता है। सरकार का यह काम नहीं कि पढ़ें लिखे युग में देश वासियों को गुमराह कर पद का दुरपयोग करें और सबको जीवन जीने के अधिकार से वंचित करें मुझे उम्मीद है कि मेरे लिखे का असर देश प्रदेश की सरकार पर होगा और अपने वायदे के अनुसार लोककल्याण के लिए कार्य करेगी। और जब हमें मौका मिलेगा तो हम करके दिखा देंगे कि बिना जातिगत व धार्मिक भेदभाव के कैसे अपने देश के प्रत्येक नागरिक को उसके अधिकार दिए जा सकते हैं।

लेखक मै स्वामी प्रसाद मौर्य, एक दिवसीय मेहमान सम्पादक
                विधान केसरी, लखनऊ