बीसलपुर: चाहरदीवारी बिहीन विद्यालय में बच्चों के ऊपर मंडरा रहा है खतरा

 

विधान केसरी समाचार

बीसलपुर। विद्यालयों को शिक्षा का मन्दिर कहा जाता है इन शिक्षा के मन्दिरों में चहारदीवारी न होने के कारण इन शिक्षा के मन्दिरों में पढने वाले छात्रों को अवारा घूम रहे गौवंशीय पशुओं का हर समय खतरा बना रहता है। जबकि कुछ विद्यालय जंगल के समीप होने के कारण इन छात्रों के ऊपर और भी खतरा मंडरा रहा है लेकिन प्रशासन ने अभी तक इन छात्रों के भविष्य की ओर ध्यान नही दिया है।

गौरतलब हो कि छात्रों के उज्जल भविष्य के लिए शासन ने कुछ समय पूर्व इन शिक्षा के मन्दिरों के आसपास अवारा घूम रहे मवेशियों से छात्रो को सुरक्षित रखने के लिए प्रत्येक जनपद के जिलाधिकारियों को इन मन्दिरों के चारो तरफ चहारदीवारी वनवाने के लिए निर्देश दिये थे। शासन के निर्देशों के अनुपालन में जिलाधिकारी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को चहारदीवारी वनवाने के लिए निर्देश दिये थे। उक्त निर्देशों के अनुपालन मे बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कुछ विधालयों मे चहारदीवारी बनवा दी थी लेकिन अभी भी दर्जनों स्कूल चहारदीवारी विहीन चल रहे हैं जिससे हर समय चहारदीवारी विहीन चल रहे विधालयों के छात्रों के ऊपर संकट के बादल मंडरा रहे है। मजेदार बात यह है कि चहारदीवारी विहीन चल रहे इन विधालयों के चारो तरफ अवारा गौवंशीय पशु हर समय मंडराते रहते हैं। मालुम हो कि विकास खण्ड विलसंडा क्षेत्र के ग्राम महमदपुर गाजना कटैया व विकास खंड वरखेडा क्षेेत्र के ग्राम चकशिवपुरी पकडिया उमरिया दियोराजपुर सहित पौन दर्जन शिक्षा के मन्दिर चहारदीवारी विहीन चल रहे हैं। जिसमे ग्राम वल्देवपुर का विधालय चहारदीवारी विहीन होने के साथ-साथ जंगल के समीप बना हुया है। जहां हर समय जंगली जानवरों का भी भय बना रहता है। इन चहारदीवारी विहीन विधालयों के वावत समय-समय पर क्षेत्र के संभ्रात व्यक्तियों ने प्रशासन को अवगत कराया था। लेकिन किसी ने अभी तक इस ओर ध्यान नही दिया है। अब देखना यह है कि इन छोटे-छोटे बच्चों के भविष्य को लेकर प्रशासन चहारदीवारी विहीन विधालयों में चहारदीवारी वनवायेगे या नही यह आने वाला समय बतायेगा।