कैरानाः दीन-ए-इस्लाम बचाने को इमाम हुसैन ने दी शहादत

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कैराना। नगर के इमाम बारगाह व अजाखानों में आयोजित मजलिसों में शिया सोगवारों ने भाग लिया। इस अवसर पर मौलाना जावेद हुसैन ने इमाम हुसैन की शहादत पर विस्तार से प्रकाश डाला और जीवन चरित्र पर अमल करने का आह्वान किया।

नगर के इमाम बारगाह व अजाखानों में मजलिसों का सिलसिला जारी है। तीन मोहर्रम को छोटे इमामबाड़े में मजलिस को मौलाना इकरार हुसैन ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हजरत मुस्लिम बिन अकील के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह बहादुर थे। इमाम हुसैन ने कूफे में अपना सफीर बनाकर भेजा था, जिनको जालिमों ने शहीद किया। करबला के पहले शहीद हजरत मुस्लिम है। इससे पूर्व रात्रि में बड़ी इमाम बारगाह में मौलाना जावेद हुसैन ने संबोधित करते हुए कहा कि करबला की जंग हक व बातिल के मध्य थी। इमाम हुसैन ने दीन-ए-इस्लाम बचाने हेतु बरकला में शहादत दी। हमें चाहिए कि इमाम हुसैन के जीवन चरित्र पर अमल करें। इसके अलावा सिदरयान में स्थित सरदार हुसैन व रजा अली खां के अजाखानों में भी मजलिसें हुईं। इस अवसर पर शिया सोगवार मौजूद रहे।