प्रयागराज: भारतीय खाद्य उद्योग फ्रंट पैक पर चेतावनी लेबल के लिए है तैयार
विधान केसरी समाचार
प्रयागराज। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की खपत में आशातीत वृद्धि के साथ, भारत विज्ञान समर्थित फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग (एफओपीएल) को अपनाने के दिशा में अग्रसर है। प्रमुख उद्योग प्रतिनिधियों और खाद्य उत्पाद निर्माताओं का मानना है, कि वैश्विक बाजार में छोटे और मझोले औद्योगिक (एसएमई) इकाइयों द्वारा उत्पादित खाद्य पदार्थों की बढ़ती लोकप्रियता भारत के परंपरागत खाद्य पदार्थ, जो सेहतमंद भी है, के निर्यात में वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। निर्यात को बढ़ाने की दृष्टि से, इस अवसर को मजबूत और निर्यात क्षमता को सुविधाजनक बनाने के लिए, खाद्य उत्पादों के लिए चेतावनी लेबल आधारित एफओपीएल को अपनाना, भारत के लिए एक प्रभावी नीतिगत फैसला होगा।
खाद्य उद्योग कल्याण संघ (थ्प्ॅ।) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गिरीश गुप्ता ने कहा कि भारतीय खाद्य पदार्थ को वैश्विक बाजार के समकक्ष बनाने के लिए विश्व स्तर पर सबसे प्रचलित एफओपीएल को अपनाने की आवश्यकता है.
उन्होंने आगे कहा ष्एफओपीएल (थ्व्च्स्) देश में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की काफी मदद करेगा, जिससे बाजार अथवा डिमांड स्वस्थ खाद्य पदार्थों की तरफ स्थानांतरित होगा। यह भारत के लिए एख अनोखा अवसर होगा, जो भारतीय फूड प्रोसेसिंग उद्योग को आगे बढ़ाने और अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा।
भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य और पेय पदार्थों चलन तीव्र गति से बढ़ रहा है। यूरोमॉनिटर के वर्ष 2006-2019 बिक्री के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पैकेज्ड फूड और सॉफ्ट ड्रिंक का खुदरा बाजार सिर्फ 13 वर्षों में 42 गुना बढ़ गया है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, जिसे भारत सरकार रोजगार सृजन के लिए एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में प्रोत्साहित कर रही है, हालिया वर्षों में यह $ 200 अरब का कारोबार कर रही है और इसके $ अरब बिलियन तक बढ़ने की संभावना है। भारतीय खाद्य बाजार का एक तिहाई हिस्सा श्प्रसंस्करण उद्योगश् का है।
एसएमई का एक बड़ा हिस्सा देश के लोकप्रिय देसी स्नैक्स और कन्फेक्शनरी का उत्पादन लघु और मध्यम खाद्य निर्माताओं द्वारा किया जाता है।सरकार भी लघु और मध्यम खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संभावनाओं के उपयोग के लिए विभिन्न राज्यों में फूड पार्कों को प्रोत्साहित कर रही है और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। 10900 करोड़ रुपये के वित्तीय बजट के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (च्स्प्ैथ्च्प्), भारत में वैश्विक मानक के साथ खाद्य उत्पादन करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय खाद्य ब्रांडों स्थापित करने में सहयोग करेगा।
इस मुद्दे पर बात करते हुए व्यापारी एकता मंडल के श्री रमाकांत जायसवाल ने कहा, कि भारत एक ‘ट्रेंड सेटर’ बन सकता है, यदि यह आगे बढ़कर एम्स द्वारा सुझाए गए श्हाई इनश् स्टाइल चेतावनी लेबल को अपना लेता है। इस लेबल के डिजाइन के अनुसार खाद्य उत्पादों के पैकेट के सामने के लेबल पर पोषक तत्वों की साफ-साफ जानकारी दी जानी चाहिए, जैसे कि वसा, चीनी या नमक की मात्रा।.
भारत में न केवल वयस्कों में आहार संबंधी बीमारियों में खतरनाक वृद्धि देखी जा रही है, बल्कि बच्चों के मोटापे में भी तेजी से वृद्धि हुई है। भारतीय उपभोक्ता 2030 तक प्रसंस्कृत और ब्रांडेड खाद्य उत्पादों पर 6 ट्रिलियन डॉलर खर्च करेंगे। जब अति-प्रसंस्कृत भोजन आहार संबंधी प्राथमिकताओं और उपभोक्ताओं के खरीदने के निर्णय में शामिल हो रहा है, तब खाद्य उद्योग, खाद्य पैकेटों पर मजबूत और सरल चेतावनी लेबल लगाने से होने वाले फायदे पर गम्भीरता से संज्ञान ले रहा है।
उद्योग की तत्परता की पुष्टि करते हुए भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अंकुर सिघल ने कहा, “हम एक मजबूत एफओपीएल (थ्व्च्स्) के विचार का स्वागत करते हैं, जो उपभोक्ताओं को स्वस्थ खाद्य पदार्थों को जल्द समझने और पहचानने में मदद करेगा। क्योंकि इस पहल से सिर्फ व्यापार को ही बढ़ावा नहीं मिलेगा, बल्कि देश के लाखों उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकेगा। इससे ऐसी बीमारियां कम होंगी जो गैर संचारी हैं।
जन मित्र न्यास के डॉ. लेलिन रघुवंशी ने कहा, डॉ. लेलिन रघुवंशी ने कहा, ष्जैसा कि भारत ष्आजादी का अमृत महोत्सव – स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहा हैष्, खाद्य सुरक्षा, पोषण और देश का स्वास्थ्य शीर्ष चिंताओं के रूप में उभर रहा है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (थ्ैै।प्), भारत के लिए बहुप्रतीक्षित थ्व्च्स् विनियमन पर विचार कर रहा है। जबकि एफएसएसएआइ (थ्ैै।प्) ने श्हेल्थ स्टार रेटिंगश् के लिए अपनी प्राथमिकता व्यक्त की है, जो विशेषज्ञों का कहना है कि यह उपभोक्ताओं के लिए भ्रामक होगा। डॉक्टरों और वैज्ञानिक समुदायों के अनुसार भारत को वैश्विक मानकों के अनुसार ‘श्चेतावनी लेबलश् को अपनाना चाहिए जो कि न केवल गंभीर बीमारी को रोकने के लिए जरूरी है, बल्कि तेजी से बढ़ते खाद्य बाजार के बेहतर भविष्य के लिए भी फायदेमंद है।”
भारतीय खाद्य उद्योग, जो इस पूरी प्रक्रिया में मुख्य साझेदार हैं, एक ऐसे लेबल को अपनाने के लिए तैयार हैं जो देश के लिए सबसे अच्छा है और उपभोक्ता अनुकूल लेबल है। इससे भारतीय परिवारों को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद मिलेगी और साथ ही हमारे उद्योग भी ज्यादा मुनाफा और नौकरी सृजित कर सकेंगे।