वाराणसी: गलियों में चिता, लोगों के चेहरे पर चिंता, बनारस में सड़क और गलियों में हिलोर मार रही गंगा, कमिश्नरेट पुलिस मुस्तैद

विधान केसरी समाचार

वाराणसी। गंगा के जलस्तर में बढ़ाव जारी है। काशी में गंगा खतरे के निशान को भी पार कर चुकी हैं। अब लोगों को 2013 और 1978 की बाढ़ की यादें सताने लगी हैं। लोगों को लग रहा कि अगर ऐसा हुआ तो गंभीर संकट पैदा हो जाएगा। गंगा में बढ़ाव से तटवर्ती इलाकों में रहने वाले तो संकट में हैं ही, खास तौर पर वरुणा किनारे रहने वाले। वरुणा में पलट प्रवाह के चलते वरुणा नदी के किनारे बसे लोगों की स्थित ज्यादा खराब है। हालांकि अब तो गंगा और वरुणा किनारे की बस्तियों में भी पानी पहुंचने लगा है। यहां तक कि सामने घाट स्थित बीएचयू के ट्रामा सेंटर में भी गंगा का जल प्रवेश कर चुका है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार की रात 11 बजे ही गंगा खतरे के निशान को पार कर गई थीं। मध्य रात्रि यानी 12 बजे गंगा 71.29 मीटर पर पहुंच गई थीं। केंद्रीय जल आयोग का अनुमान है कि अभी जलस्तर में वृद्धि जारी रहेगी, क्योंकि चंबल सहित अन्य नदियों में आए ऊफान से वाराणसी में अभी गंगा के जलस्तर में फिलहाल वृद्धि जारी रहेगी।

खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार शनिवार शाम 4 बजे गंगा का जलस्तर 71.56 मीटर दर्ज किया गया। यह खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर अधिक है। आज गंगा का जलस्तर प्रति घंटे दो सेंटीमीटर की दर से बढ़ रहा है। बता दें कि बनारस में गंगा में बाढ़ का रिकार्ड 1978 का है तब गंगा का जलस्तर 73.901 मीटर तक पहुंचा था। ऐसे में अब लोग सशंकित हैं कि कहीं वो स्थिति न आ जाए। वैसे अभी ही गंगा और वरुणा के तटवर्ती इलाकों के मोहल्लों व कॉलोनियों के मकान बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं।

दो लाख से ज्यादा लोग प्रभावित

गंगा के जलस्तर में वृद्धि और उसके चलते वरुणा में पलट प्रवाह के चलते शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के करीब दो लाख लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ के चलते घाट किनारे मणिकर्णिका, अस्सी, सामनेघाट, दशाश्वमेध आदि इलाकों में मुहल्लों की गलियों में नाव चलने लगी है। बाढ़ के चलते नगवां और सामने घाट क्षेत्र के दर्जनों मुहल्लों में पानी प्रवेश कर गया है। लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में हैं। वैसे अब तक 1300 से ज्यादा लोग बाढ़ राहत शिविरों में पनाह ले चुके हैं। लेकिन अभी भी हजारों अपने घरों के प्रथम तल पर अटके हैं।

कॉलोनियों में चार फीट तक पानी

ज्ञान प्रवाह नाला से आए गंगा के बाढ़ के पानी से गंगा मारुति नगर, गायत्री नगर, काशीपुरम विस्तार कॉलोनियों के तीन दर्जन से अधिक मकान घिर गए हैं। सड़कों पर पानी चार फीट तक लग गया है। मारुति नगर में फंसे रमेश झा, दिलीप बहादुर सिंह, मुन्ना सरदार, डालू पटेल घर ने नाव की मांग की है। बाला जी नगर मोड़ से पानी सीवर लाइन के जरिए कॉलोनी में चला आया है। नगवां की गंगोत्री विहार लेन-एक और संगमपुरी में एक दर्जन मकान घिर गए हैं। नगवां सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी घुस गया। नगवा प्राथमिक विद्यालय और अस्सी गोयनका विद्यालय में राहत शिविर बने हैं।

आजीविका पर संकट

बाढ के चलते गंगा तट किनारे अपनी आजीविका चलाने वालों पर गंभीर संकट आन पड़ा है। रोज कुआं खोद कर पानी पीने वाले यानी रोजाना कमाने-खाने वालों पर गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी से गंभीर संकट पैदा हो गया है। चाहे पंडा-पुजारी हों या माला-फूल व पूजन सामग्री विक्रेता, चाय-पान वाले, फल-सब्जी वाले भी इस संकट से रू-ब-रू होने को विवश हैं।

सैकड़ों बुनकरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

वरुणा में उफान के चलते पुरानापुल से बघवा नाला तक पांच हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हो गए हैं। सबसे ज्यादा झटका बुनकरों को लगा है। घरों में पानी भरने से लूम बंद हो गए हैं। दानियालपुर, पुल कोहना, शैलपुत्री, सिधवा घाट, तिनपुलिया, ऊंचवा, बघवा नाला के निचले इलाकों से होता हुआ पानी ऊपर आबादी की ओर बढ़ चला है। प्रभावित क्षेत्रों के लोग कहीं टेंट लगाकर तो कहीं किसी परिचित के भरोसे दिन गुजार रहे हैं।

शवयात्रियों की फजीहत

बाढ के चलते शवयात्रियों की फजीहत है। मणिकर्णिका घाट का प्लेटफार्म के नीचे तक पानी पहुंच चुका है। उसके आसपास चारों तरफ पानी होने से जहां घाट पर होने वाले कर्मकांड में दिक्कत आने लगी है तो वहीं शवदाह के लिए प्रयुक्त होने वाली लकड़ियां भी गीली हो गई हैं। मणिकर्णिका घाट की गली में घुटने से ऊपर तक पानी है। उधर हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में अंत्येष्टि हो रही है।

कमिश्नरेट पुलिस मुस्तैद

पुलिस कमिश्नरेट पूरी तरह से मुस्तैद है। पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने गंगा और वरुणा किनारे के थानेदारों को निर्देशित किया है कि बाढ़ के चलते राहत शिविरों में जाने वाले परिवारों के घरों पर पैनी निगाह रखें। उन्होंने मोटरबोट से पेट्रोलिंग तेज करने की हिदायत भी दी है। साथ ही यह भी कहा है कि ये सुनिश्चित करें कि बाढ़ से घिरे मकानों में कोई फंसा न हो। पुलिस कमिश्नर ने आमजनों से अपील की है कि जिसे भी हमारी मदद की दरकार हो वो समीप के थाने या 112 नंबर पर संपर्क कर सकता है। थानेदारों को हिदायत दी गई है कि वो अपने सीयूजी नंबर पर आने वाली प्रत्येक कॉल अटेंड करेंगे। तत्काल एनडीआरएफ टीम के साथ मदद की अपेक्षा रखने वाले तक पहुंचेंगे।