मीरगंज: रबड़ फैक्ट्री की जमीन सरकार को मिलने से फतेहगंज पश्चिमी के साथ बरेली जिले के विकास की रफ्तार होगी दोगुनी

विधान केसरी समाचार

मीरगंज– रबड़ फैक्ट्री प्रकरण में भाजपा नेता व्यापार मंडल अध्यक्ष आशीष अग्रवाल काफी दिनों से केंद्रीय मंत्री, विधायक, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल आदि तक रबड़ फैक्ट्री के प्रकरण को जोरों शोरों से उठाने में दिल्ली से लेकर लखनऊ तक कोई कसर नहीं छोड़ी है।उन्हें ज्ञापन देकर रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर उद्योग लगाने की मांग कर चुके हैं। इसी सिलसिले में भाजपा नेता आशीष अग्रवाल ने बताया कि रबड़ फैक्ट्री की जमीन सरकार को मिलने से फतेहगंज पश्चिमी के साथ पूरे बरेली जिले के विकास की रफ्तार दोगुना होगी। तेईस साल से बंद रबड़ फैक्ट्री की तेरह सौ अस्सी एकड़ वेशकीमती जमीन जिसके बीच से रेलवे और नेशनल हाइवे दोनों गुजर रहे हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रदेश सरकार की इतनी कड़ी पैरवी में कई साल लग गए, केंद्र व प्रदेश स्तर पर मामला उठने से शासन और प्रशासन गम्भीर हुआ तो राज्यपाल के यहां हुई लीज के एग्रीमेंट को स्वीकार कर सरकार के पक्ष को मजबूती से स्वीकार कर लिया। जिसका निर्णय 14 सितम्बर को आने की उम्मीद है।

रबड़ फैक्ट्री बन्दी के दौरान 14 आत्महत्या करने वाले मजदूरों के परिवारों व 1443 कर्मचारियों के बकाया वेतन 270 करोड़ रुपये के भुगतान की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। जनपद बरेली के फतेहगंज पश्चिमी कस्बे के भाजपा नेता आशीष अग्रवाल ने बताया कि रबड़ फैक्ट्री की भूमि वापसी, कर्मचारियों के बकाया वेतन, व जमीन पर ओधोगिक सिडकुल बनाने की मुहिम को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल समेत प्रदेश व केंद्र के दो दर्जन से ज्यादा मंत्रियों तक रबड़ फैक्ट्री के प्रकरण को जोरशोर से उठने में कोई कसर नही छोड़ी । सरकार पर सुनवाई के असर न होने पर केंद्रीय संगठन व संघ नेताओं तक मामले को जबरदस्त तरीके से उठाया । नतीजन सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रदेश के महाअधिवक्ता के साथ साथ महाराष्ट्र सरकार के महाअधिवक्ता को भी केस की पैरवी में लगा दिया।

जिला प्रशासन भी भाजपा नेता श्री अग्रवाल के दिए प्रार्थना पत्रो के जवाव देते देते अपनी वर्षों की लचर कार्यवाही को छोड़कर जिले के उधोग प्रशासन व जिला प्रशासन के साथ पैरवी में जुट गया। पिछली 24 सितम्बर की हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने अलकेमिस्ट कम्पनी की जमीन पर कब्जा देने की याचिका को अस्वीकार करते हुए सरकार के पक्ष को मजबूत मानते हुए सरकार की अर्जी को स्वीकार कर लिया है। कस्बे के व्यापारियों व आस पास के ग्राहकों में फैक्ट्री की जमीन वापस मिलने की उम्मीदों को और पंख लग गए हैं।युवा बेरोजगार इस बात का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि कब यहां ओधोगिक सिडकुल बनेगा और उन्हें अच्छी नोकरी के अवसर प्राप्त होंगे।मानवाधिकार आयोग और रास्ट्रपति कार्यालय ने एक वार पुनः प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव से जमीन वापसी की पूर्ण प्रकिया की जानकारी तलब की है।जिसकी एक प्रति भाजपा नेता आशीष अग्रवाल को भी भेजी है। जिसमे 23 वर्ष में कर्मचारियों की हुई मौते व कर्मचारियों के वकाया भुगतान की भी जानकारी मांगी गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जमीन वापसी पर इस जमीन में केवल औधोगिक सिडकुल ही बनाया जाय। किसी तरह के अपार्टमेंट या चिड़ियाघर जैसे प्रोजेक्ट्स से लोगों को रोजगार नही मिलेगा। केवल फेक्ट्रियो के आने से ही नगर व आसपास के इलाके में तरक्की और रोजगार के साधन होंगे।