कैरानाः मीट फैक्ट्री से भयावह न हो जाए जानलेवा लंपी के हालात
विधान केसरी समाचार
कैराना। पशुओं में फैल रहे जानलेवा लंपी चर्म रोग के कहर के बीच प्रशासन की ओर से पशु पैठ को बंद कराया जा चुका है। नगर में घनी आबादी के बीच मीट फैक्ट्री का संचालन जारी है। इससे लंपी रोग के हालात भयावह होने का खतरा बना हुआ है। बावजूद इसके प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
यूपी समेत देश के विभिन्न राज्यों में लंपी चर्म रोग पशुओं को जकड़ रहा है। शामली जिले में इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आने से कई पशुओं की मौत हो चुकी है। लंपी बीमारी के प्रसार को रोकने हेतु प्रशासन ने कैराना-प्रशासन रोड पर लगने वाली पशु पैठ को अनिश्चितकाल तक बंद करा दिया था। कैराना नगर में कांधला रोड पर घनी आबादी के बीच मीट फैक्ट्री का संचालन पूर्व की भांति जारी है, जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों पशुओं का कटान होता है। फैक्ट्री में प्रतिदिन सैकड़ों वर्कर भी काम करते हैं। लंपी रोग के कहर के बीच मीट प्लांट का संचालन होने से हालात भयावह होने का खतरा पैदा हो गया है। इसके बावजूद भी प्रशासन की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
मीट फैक्ट्री से नदारद रहते हैं चिकित्सक
मीट फैक्ट्री में पशु चिकित्सक की भी तैनाती बताई जाती है, जो मीट फैक्ट्री में कटान के लिए आने वाले पशुओं के स्वास्थ्य की जांच करते हैं। इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि कहीं किसी गर्भवती भैंस अथवा बच्चे तो कटान के लिए नहीं ले जाए जा रहे हैं। लेकिन, मीट फैक्ट्री में पशु चिकित्सक अक्सर नदारद रहते हैं, जिनकी गैरमौजूदगी में संचालक की ओर से धड़ल्ले से पशु कटान कराया जाता है।
इंसानों में न फैल जाए लंपी का प्रकोप
वैसे तो पशुओं में लंपी बीमारी गोवंशों में बताई जा रही है, लेकिन भैंस व भैंसा पालक भी चिंतित है। मीट फैक्ट्री में पशु चिकित्सक की गैरमौजूदगी में भैंस व भैंसा का कटान किया जा रहा है। ऐसे में पशुओं की जांच के बिना यदि कोई एक भी पशु लंपी से ग्रस्त हुआ और कटान के बाद उसके मीट के प्रयोग से बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है। हालांकि, इंसानों में लंपी बीमारी फैलने का मामला सामने नहीं आया है।
बच्चों का भी धड़ल्ले से हो रहा कटान
मीट फैक्ट्री में मानकों को धता बताकर पशुओं का कटान धड़ल्ले से किया जाता रहा है। इन दिनों बड़े पशुओं के साथ बच्चों का कटान भी किया जा रहा है, जबकि बच्चों और गर्भवती भैंसों के कटान पर प्रतिबंध है। पूर्व की बात करें, तो मीट फैक्ट्री मृत पशु के कटान को लेकर भी चर्चाओं में रह चुकी है। यही नहीं, गर्भवती भैंसों के कटान के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चों को भी इधर-उधर फेंका गया था।
प्रदूषण फैलने से घुट रही सांसें
मीट फैक्ट्री के अंदर हड्डी गलाने का प्लांट भी चलता है, जिसकी चिमनी से निकलने वाली धुएं से आसपास क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैल रहा है। इस कारण लोगों का सांसें लेना भी दुश्वार हो गया है। यही नहीं, हेपेटाइटिस-सी जैसी गंभीर बीमारियां भी पैर पसार रही है, जिससे लोग परेशान है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
कांवड़ यात्रा के दौरान भी गूंजा था मुद्दा
कांवड़ यात्रा के दौरान डीएम जसजीत कौर व एसपी अभिषेक ने तहसील के सभागार में बैठक की थी। उस दौरान मीट फैक्ट्री का मुद्दा भी गूंजा था। जहां एक व्यक्ति ने शिकायत की थी कि मीट फैक्ट्री कांवड़ यात्रा के दौरान भी संचालित हो रही है और उससे फैल रहे वायु प्रदूषण से शिवभक्तों को भारी परेशानियां हो रही है। कांवड़ मार्ग से कुछ ही दूरी पर मीट फैक्ट्री पड़ती है। इसके बाद मीट फैक्ट्री को बंद करा दिया गया था।
मकान बेचने तक मजबूर हुए लोग
मीट फैक्ट्री से जनता त्रस्त है। इसी के चलते मीट फैक्ट्री से कुछ ही दूरी पर रहने वाले कई परिवार अपने मकानों पर पूर्व में ‘यह मकान बिकाऊ है’ तक लिखवा चुका हैं। मीट फैक्ट्री की शिकायतें भी होती रही है। शिकायतों पर जांच टीमें आती रहती है, लेकिन कार्यवाही के बजाय खानापूर्ति होती नजर आती है। यही कारण है कि जनता को मीट फैक्ट्री से निजात नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा मीट फैक्ट्री का वाद उपजिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में भी विचाराधीन बताया जाता है।
क्या कहते हैं एसडीएम
एसडीएम शिवप्रकाश यादव का कहना है कि उच्चाधिकारियों की ओर से मीट फैक्ट्री को बंद कराने के आदेश अभी नहीं है।