बाराबंकीः थाना व तहसील दिवस की भांति ही चूं-चूं  का मुरब्बा बना मुख्यमंत्री का पोर्टल

विधान केसरी समाचार

बाराबंकी। प्रदेश के सशक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा प्रदेश में लागू की गई जनकल्याणकारी नीतियों का उनकी मशीनरी किस प्रकार पालन कर रही है इसके सैकड़ों नही हजारों लाखों नजीरें दी जा सकती हैं मगर लगता है कि किसी सुनियोजित साजिश के तहत उन्हें फेल करने की कार्यवाहियां भी धड़ल्ले से की जा रही हैं। आज जनता योगी जी की नीतियों का शिकार बनती जा रही है। जिसे न कोई देखने वाला है न सुनने वाला। अन्त में लोग अपने को ठगा महसूस करके अन्याय बर्दाश्त करने को बाध्य हो रहे हैं।
बात बहुत तीखी लग सकती है खासकर निरंकुश सरकारी मशीनरी को कुछ ज्यादा ही चुभेगी। उसके द्वारा आमजन को केवल और केवल बेवकूफ बनाया जा रहा है। उसके लिए थाना दिवस, तहसील दिवस, अब ब्लाक दिवस या कोई और दिवस मनाये जाते है मगर वह पिकनिक जैसे होते है। न्याय हेतु मामलें पेश किये जाते हैं, उनकी रशीदें भी दी जाती हैं मगर उन्हें आम न्यायालय की भांति तारीख पर तारीख दी जाती हैं या उन्हें एक दूसरे से जाकर फरियाद करने को कहा जाता है पीड़ित-प्रताड़ित दौड़ता रहता है अन्त में थकहार कर शान्त बैठ जाता है। अन्यायी, अत्याचारी का साथ थाना, तहसील व ब्लाक के साथ-साथ जिला स्तरीय अधिकारी भी मामले को टालकर देते रहते हैं।

आज मुख्यमंत्री जी का पोर्टल भी चूं-चूं का मुरब्बा साबित हो चुका है। शिकायत करते रहो मगर उसकी प्रभावी कार्यवाही नही होती। झंूठी मनगढ़न्त रिपोर्ट लगाकर वापस भेज दी जाती हैं। मुख्यमंत्री जी के यहां से पूंछा जाता है कि उनकी समस्या शिकायत का निस्तारण हुआ कि नही? वह संतुष्ट हैं कि नही? इसका जब उत्तर नकारात्मक दिया जाता है तो फिर से कार्यवाही के लिए सम्बंधित विभाग को लिखा जाता है। यह दौर चलता ही रहता है। किसी को भी न तो अपने खिलाफ कार्यवाही होने का खौफ रह गया है और न ही उनके वरिष्ठ अधिकारियों में संवेदना। जैसे कि शिकायतकर्ता कीड़ा मकोड़ा हो। यदि किसी को विश्वास न हो तो वह इन तथाकथित दिवसों में आने वाली शिकायतों अथवा मुख्यमंत्री जी के पोर्टल पर होने वाली शिकायतों की प्रभावी जांच देखा व जाना जा सकता है मगर सब बेकार और बकवास के सिवा कुछ नही होगा। यह केवल बच्चों की तरह नागरिकों को टहलाने जैसी स्थिति है। आज किसी भी थाना, तहसील, ब्लाक व जिला स्तर पर हुई शिकायतों की संख्या और उनके विस्तारण के मामलों को देखा जाये तो उनमें जमीन आसमान का फर्क मिलेगा। किसी नालायक को ठीक से सुनवाई न करने पर दण्डित नही किया जाता। नमूने के तौर पर जिन मामलों के निस्तारण अथवा उनके निक्षेपीकरण की कार्यवाहियां की गई हैं। उनकी सही से जांच करवा कर दिखा लिया जाए तो स्वतः पता चल जायेगा। किन्तु यह कौन करेगा सरकार को खासकर मुख्यमंत्री जी को झूठे आकड़ों से ही खुश करना है तो वास्तविकता से क्या मतलब। प्रायोजित जांचों से ही काम मचल जाता हैं।
बात काफी बढ़ जायेेगी इसलिए अनेक उदाहरण न देकर केवल दो मामले दिये जा रहे हैं जिनका यदि गहन परीक्षण करा लिया जाए तो व्यवस्था की पोल स्वतः खुल जायेगी।

एक उदाहरण सुन्दरलाल वर्मा पुत्र अशर्फी वर्मा निवासी हजरतपुर थाना व तहसील रामनगर का है। दूसरा उदाहरण विजय कुमार वर्मा पुत्र स्व0 हजारी लाल निवासी दरामनगर थाना कोतवाली नगर का है। इनकी हरस्तर पर शिकायतें हुई मगर आज तक कुछ नही हुआ मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी प्रयास व्यर्थ गया। झूंठी रिपोर्ट भेजी गई। आज यह दोनों 70 और 80 साल की उम्र में सिवा भटकने के उन्हें और कुछ नही मिला है। सुन्दर लाल अब जहां मुख्यमंत्री के यहां कुछ करने की योजना बना रहे हैं। वहीं विजय कुमार जिला गन्ना दफ्तर में तीन दिन से धरना पर बैठा हुआ है। मामला तहसील और थाने से सम्बंधित है अन्यायी के पक्ष में रिपोर्ट लगायी गई हैं उनके साथ मशीनरी की स्पष्ट मिलीभगत हैं लेकिन वरिष्ठ अधिकारी कुछ भी सुनने को तैयार नही है। यह दो मामले ही हकीकत बयां कर रहे हैं। यह चुनौती है जिला एवं प्रदेश प्रशासन के लिए, यदि समझ में न आये तो इस संवाददाता को भी बुलाकर सभी मामलों को जाना जा सकता है मगर ऐसा होगा लोगों को विश्वास नही है।