एटा: स्तनपान शिशुओं का अधिकार- जिला कार्यक्रम अधिकारी
विधान केसरी समाचार
एटा। जिले में आयोजित किए जा रहे पोषण माह के तहत हर दिन विभिन्न गतिविधियों वजन दिवस, गृह भ्रमण ,पोषण पाठशाला आदि का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लाभार्थियों के घर घर भ्रमण करके उन्हें गर्भावस्था से लेकर जन्म के बाद शिशु की देखभाल के प्रथम हजार दिन के दौरान पोषण के विषय में बता रही है। साथ ही नवजात शिशुओं के स्तनपान पर गर्भवती व परिजनों को जानकारी दे रही हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि पोषण माह के दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पोषण के पहले हजार दिन के बारे में लाभार्थियों को जागरूक कर रही हैं। उन्होंने बताया कि स्तनपान शिशुओं का अधिकार होता है। स्तनपान से बच्चे का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है। साथ ही यह हर रूप में शिशु को सिर्फ और सिर्फ लाभ ही पहुंचाता है। उन्होंने बताया कि मां के दूध में पर्याप्त पोषक तत्व होते हैं और शिशु को छह माह तक बाहरी कुछ भी देने की आवश्यकता नहीं होती है।
नोडल अधिकारी आरसीएच, एसीएमओ डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि शिशु के जीवन के प्रारंभिक हजार दिन यानी गर्भावस्था के 270 दिन और जन्म के बाद के 730 दिन नवजात के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। बच्चे के जन्म के समय उसकी लंबाई करीब 50 सेमी होती है और उसका वजन करीब 3 किलो होता है। जन्म के समय बच्चे का मस्तिष्क 50 प्रतिशत विकसित होता है। शुरुआती पहले साल में बच्चे का वजन हर महीने करीब 500 ग्राम और ऊंचाई हर महीने 2 सेमी बढ़ती है, जबकि दूसरे साल में वजन में लगभग 250 ग्राम की और ऊंचाई में 1 सेमी की बढ़ोतरी होती है। पहले साल में बच्चे का मस्तिष्क 75 प्रतिशत तक और दूसरे साल में 90 प्रतिशत तक विकसित हो जाता है। ऐसे में जरूरी होता है कि बच्चे की सेहत का विशेष ख्याल रखा जाए। जिससे कि वह किसी प्रकार के संक्रमण और बीमारी से बचे रहे।