मेरठ: सुभारती विधि संस्थान में अतिथि व्याख्यान का आयोजन
विधान केसरी समाचार
मेरठ। सरदार पटेल सुभारती विधि संस्थान, स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के लाभार्थ एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय, संकायाध्यक्ष सुभारती विधि संस्थान के दिशा निर्देशन में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली के प्रसिद्ध अधिवक्ता श्री संजू जैकब जी का स्वागत डॉ. जी के थपलियाल, कुलपति, सुभारती विश्वविद्यालय एवं प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय, संकायाध्यक्ष द्वारा संयुक्त रूप से पौधा भेंट देकर किया गया।
कार्यक्रम की संचालिका आफरीन अल्मास द्वारा श्री सजू जैकब जी का वृहद परिचय देते हुए उनके व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया। जैकब जी द्वारा सत्र का आगाज विद्यार्थियों के साथ पारस्परिक संवाद शैली में प्रारम्भ किया गया। कॉमन लॉ हॉउस ऑफ कॉमन , इंग्लैण्ड द्वारा पारित विधि को कहते हैं और भारत कॉमन लॉ एसोसिएशन का आज भी हिस्सा है। उन्होंने बताया कि भारत में आज भी प्रिवी कांउसिल के निर्णय उन विषयों पर मान्य हैं, जिनके ऊपर माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा कोई निर्णय नही पारित हुआ है।
उन्होंने सिविल लॉ एवं कॉमन लॉ के बीच में जो मुख्य अन्तर है उन्हें विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से छात्रों के समक्ष रखा उन्होंने कहा कि भारत एवं ब्रिटेन दोनों में ही संविधान है लेकिन भारत का संविधान लिखित एवं यूनाईटेड किंगडम का संविधान अलिखित है। बावजूद इसके इंग्लैण्ड का शासन सन् 1215 में किंग जॉन-प्प् के समय में लिखा गया पहला लिखित संविधान है जोकि इंग्लैण्ड के मैग्नाकार्टा के रूप में विश्व में प्रचलित है एवं इसके द्वारा ही बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दाखिल करने का अधिकार जनता को दिया गया। उन्होंने कहा कि अफ्रीकन देशों के पास लिखित संविधान नही है फिर भी कॉमन लॉ देश होने के कारण वे लॉ ऑफ प्रिसिडेन्ट से बाध्य है जबकि सिविल लॉ देश जैसे कि इटली, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, एवं दक्षिणी अमेरिका देश संहिता बद्ध कानून को मानते हुए जिसका कारण उनके जीवन का प्रत्येक क्षेत्र संहिता बद्ध होना है। इसके बाद उन्होंने छात्रों को सिविल लॉ एवं कॉमन लॉ दोनो के मध्य अन्तर करते हुए बताया कि सिविल लॉ में न्यायाधीश अपना कार्य शुरू करने से पहले एक सामान्य व्यक्ति होता है जबकि कॉमन लॉ में न्यायाधीश प्रिसिडेन्ट से बंधा होता है। सिविल लॉ में न्यायाधीश का कार्य छानबीन करना है जबकि कॉमन लॉ में न्यायधीश साक्ष्यों से बंधे होते है। उन्होंने कहा कि यदि आपको विधि के क्षेत्र में सफल होना है तो भाषा एवं विधि दोनो पर आपकी पकड़ मजबूत होनी चाहिए। प्रो. (डॉ.) रीना बिश्नोई द्वारा मुख्य अतिथि को प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया। कार्यक्रम के अन्त में प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय द्वारा श्री सजू जैकब जी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए छात्रों से कहा गया कि विधि का क्षेत्र जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ा हुआ है और इसके लिए आपको अपने विधिक ज्ञान एवं भाषायी ज्ञान को मजबूत करना होगा। इस कार्यक्रम का आयोजन लिट्रेररी क्लब द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर किया गया।
इस कार्यक्रम में डॉ. सारिका त्यागी, डॉ. प्रेमचन्द्र, आफरीन अल्मास, विकास त्यागी, प्राची गोयल जयसवाल, शिखा गुप्ता, रामेशष्ठ धर द्विवेदी, शालिनी गोयल एवं रवि सक्सेना उपस्थित रहें।