सच्चाई से भागती सरकार, लाचार या खबरदार?

 

इसमें कहना कोई गलत नहीं है की 2022 में एक बार फिर से चुनी गई योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में काफी हद तक अवैध रूप से कब्जा की गई जमीनों व बनाई गई बिल्डिंगों के विरुद्ध अभियान छेड़ने का काम किया है। जिसकी प्रशंसा जितनी की जाए कम है लेकिन यह नहीं समझ पा रहा हूं कि उत्तर प्रदेश हो या केंद्र की सरकार पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी जनता से जुड़े कई मुद्दों की सच्चाई से क्यों भागती नजर आ रही है। यदि हम उत्तर प्रदेश सरकार की बात करें तो उत्तर प्रदेश में दूसरी बार शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ भ्रष्टाचार के विरुद्ध, बल्कि जीरो टॉलरेंस की सरकार चलाने का प्रयास किया, लेकिन क्या सरकार को पता नहीं है की जीरो टॉलरेंस की बात तो छोड़िए यहां तो भ्रष्टाचार पर भी महंगाई का सिस्टम लागू हो चुका है, जिसे उखाड़ पाना खुद को उखाड़ने के समान हैं। मैं यह भी दावे के साथ कह सकता हूं कि पूर्व की सरकारों में जहां कमीशन खोरी आज के रेट से आधे दाम पर थी वही अधिकारियों में सरकार का इकबाल दिखाई पड़ता था और आज के समय में जब मुख्यमंत्री इमानदारी से सरकार चलाने का प्रयास कर रहे हैं तो मुझे नहीं लगता कि कोई इस नेक काम में उनका कोई साथ देने का इरादा रखता हो। जिला व तहसील स्तर के अधिकांश अधिकारी अपने मजे में मस्त हैं तो ढेर सारे विधायको सांसदो की रजामंदी के बिना विकास का पत्ता तक हिलने को तैयार नहीं है। हर कोई भ्रष्टाचार की गंगा में डुबकी लगाने में जुटा है और मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस से आगे बढ़ने को तैयार नहीं है। अकेले बिजनौर की नगीना नजीबाबाद तहसील में भूमाफियाओं ने न सिर्फ लाखों बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है वही सीलिंग एक्ट को पूरी तरह खंडहर में तब्दील कर दिया है। बीते दिनों एक दो जिलों ही नहीं पूरे प्रदेश के अधिकांश जिलों में खनन का खुला खेल खेला गया खनन जरूरत भी है जब कोर्ट ने पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर खनन पर रोक लगा रखी है तो भला सड़कें कैसे बनेगी। इस लिए सरकार को या अधिकारियों को खनन छिपाने की जरूरत क्या है खुलकर कहें कि खनन करो ताकि सड़कें बनाई जा सके। रही बात कमीशन खोरी की तो साफ साफ कह दिया जाए कि कमीशन लेना अधिकांश जनप्रतिनिधियों का संवैधानिक अधिकार है आखिर चोरी छिपे कमीशन लेने की क्या आवश्यकता है जेल में पहले पांच सौ रुपए में गिनती कटती थी आज महंगाई के कारण इसमें कई गुना बढ़ौतरी हो गई है, थानों के भ्रष्टाचार या थानाध्यक्ष की पोस्टिंग का रेट तो किसी बड़ी जांच से सामने आ सकता है। लोकनिर्माण विभाग में ठेकेदार से कितना कमीशन लिया जाता है मुख्यमंत्री जी खुद ही सौ ठेकेदारों को अपने सामने शपथ देकर पूछ सकते हैं। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि सड़कें अथवा बिल्डिंग बनाने वाला जो भी विभाग हो उसने महंगाई के इस दौर में ठेकेदार से मिलने वाले कमीशन में बड़े पैमाने का रेट रिवाइज कर दिया है। उत्तर प्रदेश में चल रहे निजी मेडिकल कॉलेज में वसूली जाने वाली सहयोग राशि का तो जवाब ही नहीं है सरकार ने एमबीबीएस की फीस भी दूगनी कर दी और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने भी पचास की जगह सौ वसूलने शुरू कर दिए हैं क्या सरकार रोक नहीं सकती यदि रोक नहीं सकती खुलकर कहें कि बड़े पैमाने का डोनेशन लेना मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की मजबूरी है। यही हाल बेसिक शिक्षा का है जहां सरकार तो जमकर धन खर्च करती है लेकिन कितना सुधार हुआ यह तो सरकार व बेसिक शिक्षा मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बता सकते हैं किस क्षेत्र की बात करें जहां भ्रष्टाचार ने बड़े स्तर की तरक्की न कि हों, यदि रोक की बात करें तो यह वहां लगी है जहां अधिकांश अधिकारियों को मौका ही न मिला हो। कुल मिलाकर यह दावा करना गलत नहीं होगा कि सरकार द्वारा भ्रष्टाचार रोकने को तमाम प्रयासों के बावजूद इसने बड़े पैमाने पर तरक्की की है। भला जिस सरकार के उपमुख्यमंत्री ने स्वयं अपने नेतृत्व में चलने वाले स्वास्थ्य विभाग में सैकड़ों करोड़ की दवाइयों में गोलमाल पकड़ा हों उस विभाग के पूर्व मंत्रियों को जेल न सही उनसे सरकारी धन की वसूली करके इमानदारी का संदेश तो दिया जा सकता है वरना पूर्ण बहुमत की सरकार क्यों नहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कह देती कि हमने इस विभाग में भ्रष्टाचार रोकने के तमाम प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हो सके। इस लिए जिन अधिकारियों व मंत्रियों के संचालन में यह भ्रष्टाचार हुआ है उनसे सरकारी धन की वसूली होकर रहेगी।आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सदस्य संजय सिंह ने जो राममंदिर जमीन खरीद में घोटाला उजागर किया था उसकी जांच व कार्यवाही को सार्वजनिक करना चाहिए। यदि उन्होंने झूठ बोला तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हो और यदि सही बोला तो भगवान के नाम पर चोरी करने वालों को तो कड़ी सजा देकर जनता को बताएं कि यह सपा बसपा की नहीं है गोरखपुर पीठ के पीठाधीश्वर भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ की सरकार है जहां भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार रूपी कलंक को खत्म तो कोई नहीं कर सकता हां बड़े पैमाने की कमी जरूर आ सकती है। महाराज श्री माने न माने उन्हें भ्रष्टाचार से लडते करीब छः साल होने को है लेकिन महंगाई से चार कदम आगे चलकर भ्रष्टाचार ने जो उपलब्धि हासिल की है वह तो सरकार भी नहीं कर सकी। यही हाल देश की सरकार का है जहां दो चार बड़े कारोबारियों के चक्कर में गरीबों के लिए बनाई गई सरकार पर अमीरों का ठप्पा लगा लिया है, मैं पूछना चाहता हूं देश के यशश्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से की जब इनके द्वारा लिया गया लाखों करोड़ का कर्ज माफ करना पड़ा तो ये दुनिया के टाप टेन अमीरों की सूची में कैसे शामिल हो गए। इनके लिए अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगाने से अच्छा होता कि इनका बड़ा कर्ज माफ करने की मजबूरी न सिर्फ अपने देश को बल्कि दुनिया को बताकर कहते इनका कर्ज माफ कर दुनिया के टाप टेन अमीरों की सूची में शामिल कराना हमारी मजबूरी थी, भला पूर्ण बहुमत की सरकार है कोई आपका क्या बिगाड़ लेता। इतना ही नहीं आपकी सरकार पर सबसे बड़ी जमात अनूसूचित जाति, जनजाति ओबीसी सहित समाज के दबे कुचले आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षण विरोधी होने और आरक्षण समाप्त करने की साजिश रचने का आरोप लगा रहे हैं। क्यों नहीं देश के सामने साफ साफ बता देते कि आरक्षण समाप्त करना हमारी मजबूरी है या आरक्षण विरोधी बताने का आरोप झूठा है, लैटरल एंट्री करने का आरोप गलत है हम न्यायिक सेवा आयोग नही बना सकते हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जजो की नियुक्ति कोलेजियम सिस्टम से ही होगी वंचित देशवासी चाहे जितना चिल्ला ले। कही कोई निजी करण नहीं करने जा रहे हैं अब तक के कार्यकाल में यदि आरक्षण से छेड़छाड़ या कुछ गलत हुआ है तो दो माह में जांच कराकर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध ऐसी कार्यवाही की जाऐगी कि भविष्य में कोई आरक्षण की तरफ आंख उठाकर नहीं देख सकेगा वैसे भी आपने मुरादाबाद की चुनावी रैली में मेरे सामने स्वयं कहा था कि मेरे रहते आरक्षण की तरफ कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता है या साफ साफ कह दो कि वह तो चुनावी जुमला था हम आगे आरक्षण जारी नहीं रख सकते, आपका कोई क्या बिगाड़ लेगा। पूर्ण बहुमत की सरकार है जो किसी की बैसाखी पर नहीं टिकी हैं मेरा तो बस यही कहना है कि पहले की सरकारों ने जनता से झूठ बोलकर लम्बे समय सरकार चलाई। कम से कम गरीबों को मुफ्त सिलेंडर, किताब खिताब देने, किसानों की आमदनी दूगनी कर देश और दुनिया में भाजपा सरकार का नाम रोशन करने वाली सरकार किसी दबाव में काम नहीं करती। और जो करती है डंके की चोट पर करती है । चलते चलते सिर्फ इतना कहना है कि यदि आप सभी को भ्रष्टाचार मिटाने की शपथ सच करनी है तो देश के प्रत्येक सांसद विधायक को मिलने वाली निधि की ही जांच कराकर लिए गए कमीशन का पता लगा लें और अपने चुनावी वायदे के अनुसार सात साल से कम सजा वाले मुकदमों के आरोपी जनप्रतिनिधि को अपने हक में फैसला लेकर आने तक सभी सुविधाओं से वंचित कर दे, तो प्रदेश में योगी व देश में मोदी जी आजादी के बाद से अब तक सबसे योग्य नेतृत्व कर्ता होंगे।

विनेश ठाकुर मुख्य सम्पादक
       विधान केसरी