बिजनौरः वतन पुकारे तो अब्दुल हमीद हो जाओ, ऑल इंडिया मुशायरे में तड़के तक जमे रहें श्रोता
विधान केसरी समाचार
बिजनौर। नगर पालिका परिषद बिजनौर द्वारा आयोजित जिला कृषि औधोगिक एंव सांस्कृतिक प्रदर्शनी (नुमाइश) में ऑल इंडिया मुशायरा कामयाब रहा। श्रोताओं ने सुबह साढ़े चार बजे तक मुशायरे को सुना और अपने महबूब शायर को खूब दाद दी। कामयाब मुशायरा मुनअकिद करने पर चेयरपर्सन पति शमशाद अंसारी की जमकर सराहना भी की गई।
सोमवार की रात को इंदिरा बाल भवन में चेयरपर्सन पति एंव वरिष्ठ समाजसेवी शमशाद अंसारी की सदारत में ऑल इंडिया मुशायरा मुनअकिद किया गया। मुशायरा जिले के मशहूर व मारूफ शायर अल्लामा मंसूर बिजनौरी और चन्द्र प्रकाश जौहर बिजनौरी की याद में मुनअकिद किया गया। जिनके परिजनों को मुशायरे में सम्मानित भी किया गया। मुशायरे के मेहमान ए खुसूसी पूर्व राज्यमंत्री एंव चान्दपुर विद्यायक स्वामी ओमवेश, पूर्व राज्यमंत्री एंव नगीना विधायक मनोज पारस, पूर्व प्रत्याशी डॉ. नीरज चैधरी, सपा जिलाध्यक्ष राशिद हुसैन, वक्फ विकास निगम के निदेशक शफाअत हुसैन, प्रदेश अध्यक्ष अल्पसंख्यक मौर्चा मिशन मोदी अब्दुल हलीम और अमानत रसूल प्रदेश मंत्री ने संयुक्त रूप से फीता कांटकर उद्घाटन किया। जबकि मुशायरे की शमा रोशन चेयरपर्सन रुखसाना परवीन ने की। मुशायरे का आगाज नात ए पाक से हुआ।
अपने कलाम पेश करते हुए माजिद देवबंदी ने कहा ष्अल्लाह मेरे रिज्क की बरकत न चली जाएध्दो रोज से घर मे कोई मेहमान नहीं हैष्। जौहर कानपुरी ने कहा ष्इरादे हो जवा जिनके वही बाजी पलटते हैध् मुखालिफ के लिए हर आदमी आँधी नहीं होताध् हवेली छोड़ कर कच्चे मका मे रहना पड़ता हैध् फकत चरखा चलाने से कोई गांधी नहीं होताष्। शबीना अदीब ने कहा ष् अंधेरे की हर एक साजिश यहां नाकाम हो जाएध् उजाले हर तरफ हों रोशनी का नाम हो जाएध् मेरी कोशिश तो नफरतों से दिलों को दूर करना हैध् मेरा मकसद है दुनिया में मौहब्बत आम हो जाएष्। विजय तिवारी के इस शेर को भी बार-बार सुना गया ष् गले मिलों तो मिलों ऐसे ईद हो जाएध् वतन पुकारे तो अब्दुल हमीद हो जाएध् मिलाओ कांधे से कंधा उठाओ शमशीरेध् गुलाम होने से अच्छा शहीद हो जाओष्। नदीम शाद के इस शेर को भी खूब दाद मिली,
उन्होने कहा ष् तुम खुदा तो नहीं हो, नदीम एक दिन तुम भी मर जाओगेध् फिर तकब्बुर भला किस लिये, तुम कहा से अलग हो गए। अल्ताफ जिया और अबुजर नवेद को भी श्रोताओं ने बार-बार सुना। मिसम गोपालपुरी जब स्टेज पर आए तो उनकी जज्बाती शायरी ने मुशायरे का माहौल बदल दिया। उन्होंने कहा ष्कितना बेजान हु अहसास के मारों की तरहध् फूल चुभते है मेरे जिस्म में खारों की तरहष्। मैराज बिजनौरी ने कहा ष्कलफ नहीं था जरूरी तुम्हारे कपड़ों परध्किसी के जिस्म पे कपड़ा बहुत जरूरी थाष्। पापुलर मेरठी और सज्जाद झंझट की मजाहिया कलाम को भी खूब पसंद किया गया। शायर मैराज बिजनौरी, इम्तियाज अजहर और शफक बिजनौरी के कलाम को भी बार-बार सुना गया। मुशायरा रात्रि 9 बजे शुरू होकर सुबह साढ़े चार बजे तक चला। मुशायरे के अंत मे निजामत कर रहें फाखिर अदीब, कन्वीनर हसनैन नकवी ( पत्रकार) हाजी अनीस अहमद, हाजी हसीन, आसिफ अंसारी(पत्रकार) और माजिद हुसैन के साथ प्रोग्राम अध्यक्ष वसीक अहमद ( सभासद), शराफत हुसैन( सभासद), कासिम उर्फ साहू(सभासद) व अकील मंसूरी (सभासद) सभी ने श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।