मऊ: मौसम की मार से टूटी किसानों की कमर
विधान केसरी समाचार
मधुबन/मऊ। स्थानीय तहसील क्षेत्र के किसानों पर कुदरत तल्ख रुख अख्तियार किए हुए है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक साल में तीन बार किसान दैवी आपदा का शिकार हो चुके हैं। कभी सूखे से फसलें खराब हुईं तो कभी मूसलाधार बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेरा। यह क्रम लगातार बरकरार है।
क्षेत्र के किसानों और दैवी आपदाओं का हमेशा से ही चोली-दामन का साथ रहा है। यही वजह है कि जिले के मधुबन तहसील की पहचान सूखाग्रस्त एव्ं बाढ़ ग्रस्त इलाके के रूप में होती है। लेकिन, अब ओलावृष्टि और बारिश भी किसानों पर कहर ढा रही है। साल 2021 के खरीफ सीजन में अगस्त माह में हुई भारी बारिश से क्षेत्र के किसानों की फसल तिल, मूंगफली और उर्द की फसलें खराब हो गईं थीं। मक्का की भी फसल को भी खासा नुकसान पहुंचा था। इस मार से किसान उबर भी नहीं पाए थे कि रबी सीजन में जनवरी 2022 में बारिश एवं ओलावृष्टि ने कहर ढाया था। तहसील क्षेत्र के किसानों की गेहूं की खड़ी फसल बर्बाद हो गई थी। जिससे गेहूं की पैदावार कम हो गई थी। जबकि, इस खरीफ सीजन में पहले सूखे से आधे से अधिक फसल बर्बाद हो गई जो शेष बची फसल थी वह बारिश एवं बाढ़ के पानी से बर्बाद हो गई। पिछले सप्ताह हुई भारी बारिश ने मूंगफली एवं तिल की फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। प्रशासन की जांच में अधिकतम नुकसान का अनुमान जताया गया है। इससे अधिक किसानों को प्रभावित माना जा रहा है।
पिछले खरीफ सीजन में बारिश की वजह से तिल, मूंगफली की फसल खराब होने पर प्रभावित किसानों को करोड़ों रुपए का मुआवजा दिया गया था। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहसील कोऑर्डिनेटर आशीष पांडेय ने बताया कि अगर फसल आगजनी, बारिश या बाढ़ के कारण खराब हो जाती है तो बैंक के शाखा प्रबंधक या लेखपाल से मिलकर फसल का सर्वे कराया जाता है। सर्वे का रिपोर्ट जब बैंक को दिया जाता है तब फसल क्षति की पूर्ति प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खाते में दी जाती है ,लेकिन कुछ किसान जागरूकता के अभाव में फसल बीमा का किसान लाभ नहीं ले पाते है।