प्रयागराज: उच्च न्यायालय ने भ्रस्टाचार पर कसा शिकंजा, एडीजे सहित कई को किया सस्पेंड
विधान केसरी समाचार
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा ऐक्शन लेते हुए दो ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। पहले मामले में हाईकोर्ट के एडीजे फर्स्ट राम किशोर शुक्ला को सस्पेंड कर दिया गया है। भ्रष्टाचार के आरोप में हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने यह फैसला सुनाया है। वहीं, एक अन्य मामले में जिला अदालत में नौकरी लगवाने के नाम पर भ्रष्टाचार के आरोप में हाई कोर्ट की अनुभाग अधिकारी कुसुम मिश्रा को चीफ जस्टिस के आदेश के बाद बर्खास्त कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, हाईकोर्ट के अडिशनल जज फर्स्ट राम किशोर शुक्ला पर नियमों के खिलाफ जाकर फैसले देने और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। मामले पर सुनवाई करते हुए बुधवार को हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने शुक्ला के खिलाफ बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद एडीजे के दफ्तर को भी सील कर दिया गया है।
हाई कोर्ट की अधिकारी बर्खास्त
वहीं एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने सेक्शन ऑफिसर कुसुम मिश्रा को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाए जाने पर बर्खास्त कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की अनुभाग अधिकारी पर निचली अदालत में एक व्यक्ति की नौकरी लगवाने के नाम पर रिश्वत लेने का आरोप था। चित्रकूट जनपद के कर्वी थाना क्षेत्र के वनवारीपुर गांव के रहने वाली महेंद्र प्रताप का आरोप था कि उनके बेटे को जिला अदालत में नौकरी दिलाने के लिए अनुभाग अधिकारी कुसुम मिश्रा ने सेटिंग के नाम पर 10 लाख रुपया लिया था।
जांच में आरोप हुआ सिद्ध
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुभाग अधिकारी कुसुम मिश्रा पर लगे आरोपों की जांच करावाई। जांच में उन पर लगा आरोप सही साबित हुआ। दिनांक 26 सितंबर 2022 के आदेश से सेक्शन ऑफिसर कुसुम मिश्रा को बर्खास्त कर दिया गया। और भविष्य में नियुक्ति पाने के अयोग्य करार दिया गया है। इसकी जानकारी हाई कोर्ट द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से मिली।
बता दें कि इसके पहले भी इससे पहले भी मई 2021 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के आरोप में तीन अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों को बर्खास्त कर दिया था। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने विभिन्न अवसरों पर कहा है कि न्यायपालिका में जीरो टॉलरेंस की नीति होगी।