मेरठ: अगर हमें कृषि उच्च शिक्षा का विकास करना है तो सरकारी, गैर सरकारी, अनुसंधान केंद्रों एवं विश्वविद्यालयों को साथ आना होगा- कुंवर शेखर विजेंद्र
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मेरठ । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद -राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंध अकादमी हैदराबाद में भारत में निजी विश्वविद्यालयों द्वारा कृषि उच्च शिक्षा को मुख्य धारा में लाने पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कृषि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले विश्वविद्यालयों अनुसंधान केंद्रों के संस्थापक एवं कृषि के क्षेत्र से जुड़े विद्वानों ने सहभागिता की। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री आरसी अग्रवाल डेप्युटी डायरेक्टर जनरल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं विशिष्ट अतिथि शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राष्ट्रीय शिक्षा परिषद (एसोचैम) के अध्यक्ष श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में बोलते हुए मुख्य अतिथि श्री आरसी अग्रवाल ने बताया कि वैश्वीकरण,जलवायु परिवर्तन, स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और सामाजिक आर्थिक आवश्यकताओं के कारण कृषि क्षेत्र और अधिक जटिल होता जा रहा है। इन सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत को कृषि शिक्षा और अनुसंधान में समृद्ध मानव पूंजी की आवश्यकता होगी। जिसमें निजी विश्वविद्यालयों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
विशिष्ट अतिथि शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राष्ट्रीय शिक्षा परिषद (एसोचैम) के अध्यक्ष श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने विशेष रुप से कृषि उच्च शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि अगर हमें कृषि उच्च शिक्षा का विकास करना है तो सरकारी, गैर सरकारी, अनुसंधान केंद्रों एवं सभी विश्वविद्यालयों को एक साथ आना होगा। क्योंकि ज्ञान सृजन अकेले नहीं किया जा सकता जब हम बहु अनुशासनिक कार्यों की बात करना बेईमानी है। जब तक हमारे कृषि विश्वविद्यालय अन्य रूटीन विश्वविद्यालयों के साथ नहीं आएंगे तब तक बच्चों का ज्ञान अधूरा है। इसी के साथ साथ शिक्षण संस्थाओं को इंडस्ट्री के साथ जुड़कर कार्य करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर निदेशक आईसीएआर डॉ सीएच श्रीनिवासा राव द्वारा अध्यक्षीय भाषण दिया गया।
कार्यक्रम के मुख्य आयोजक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंध अकादमी के विभागाध्यक्ष एवं मेरठ के मूल निवासी श्री सुधीर कुमार सोम ( एसके सोम) ने जोर देते हुए कहा कि उत्तरी भारत में भी खासकर उत्तर प्रदेश में सभी शिक्षण संस्थाओं और अनुसंधान केंद्रों को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के अंत में डॉ डी थम्मी राजू द्वारा सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।