मेरठ: महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के संदेश को आज भी मानती है दुनिया
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मेरठ/हस्तिनापुर। सेवा पखवाड़े के अंतर्गत इस बार दो अक्टूबर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम धूमधाम से मनाई जा रहे हैं कस्बे में मौजूद लिटिल एंजल स्कूल में महात्मा गांधी की जयंती एवं लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कस्बे के लिटिल एंजेल स्कूल में गांधी जयंती के अवसर पर एक विभिन्न पर वाद विवाद, लेखन प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि आयोजित किए गए। कार्यक्रम की शुरुआत में स्कूल प्रबंधन द्वारा महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री आदि दोनों महापुरुषों के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में बच्चों को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की वेशभूषा में सजाया गया बच्चों ने उपस्थित लोगों के समक्ष देशभक्ति कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्रधानाचार्या पल्लवी वाल्डन ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था उनका जन्म 2 अक्टूबर को 1869 में हुआ था। सत्य और अहिंसा गांधी जी के दो सिद्धांत थे, यही वजह है कि 15 जून 2007 को यूनाइटिड नेशनल असेंबली ने 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का फैसला किया। अब देश ही नहीं दुनिया भी गांधी जी के सत्य और अंहिसा के सिद्धांत को मानती है। गांधी मानते थे कि आंख के बदले आंख की सोच रखेंगे तो पूरी दुनिया ही अंधी हो जाएगी। पापी से लड़कर किसी को कुछ नहीं मिलेगा इसलिए हमें अपनी भावनाओं का चुनाव करना सीखना चाहिए। उन्होने 15 अगस्त 1947 का दिन कैसे बिताया था,
उन्होंने इस दिन 24 घंटे का उपवास रखा। महात्मा गांधी के राष्ट्रपिता कहे जाने के पीछे भी एक कहानी है। महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने श्राष्ट्रपिताश् कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए श्राष्ट्रपिताश् महात्मा गांधी कहा था। इसके बाद कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी। इसी के साथ हम सभी को गांधी जी के सिद्धांतो को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। इसी तरह लाल बहादुर शास्त्री के योगदान को भी नहीं भूलना चाहिए हमें दोनों महापुरुषों के जीवन से यह सीख लेनी चाहिए कि किस तरह संघर्षों करते हुए देश को अंग्रेजों से आजाद कराया। कार्यक्रम में इंदिरा रानी, सूरज वाल्डन, ललित कुमार का विशेष सहयोग रहा इस अवसर पर विद्यालय का संपूर्ण स्टाफ उपस्थित रहा।