गौतमबुध नगर: लंका दहन के दृश्य

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गौतमबुध नगर । श्री सनातन धर्म रामलीला समिति में आज की लीला में जटायु दाह संस्कार के उपरांत राम जी शबरी आश्रम की ओर निकलते है। शबरी सालो से आंखे बिछाए प्रभु राम का इंतजार कर रही होती है तभी राम वहा पहुंचते है और वो मगन हो जाती है शबरी उन्हें अपने चुने हुए मीठे वेर खिलाती है दोनो में संवाद होता है अंत में शबरी माता को प्रभु राम द्वारा नवधा भक्ति प्रदान कर दी जाती है और शबरी ओहि किष्किंधा पर्वत पर सुग्रीव से मिलने का मार्ग बता कर परलोक सिधार जाती है। हनुमान जी वानरों के साथ आते हैं सुग्रीव के पास थी राम लक्ष्मण वहा से गुजरते है सुग्रीव की निगाह उन पर पड़ जाती है वे हनुमान जी को भेस बदल कर मिलने का आदेश देते हैं। हनुमान जी राम लक्ष्मण से विप्र रूप में मिलते है जिसके बाद हनुमान जी और राम जी दोनो एक दूसरे को पहचान लेते है और तभी हनुमान जी सुग्रीव से मित्रता करने की बात कह कर उनको अपने कंधो पर बैठा कर वाहा से निकल पड़ते है। राम सुग्रीव में मित्रता होती है सुग्रीव अपने कष्ट को राम जी को बताता है राम जी इसका संपूर्ण समाधान निकाल लेते है और सुग्रीव को बाली से युद्ध करने का आदेश देते हैं। बाली तारा आसन पर बैठे है तभी सुग्रीव आता है और आवास लगता है दोनो में युद्ध होता है जिसमे सुग्रीव पिट कर जान बचा कर भाग आता है राम जी दोनो में से सुग्रीव की पहचान नही कर पाते। सुग्रीव फिर से राम के कहने पर माला गले में डाल कर बाली के पास जाता है दोनो में भयंकर युद्ध होता है राम अपने वाण से बाली पर प्रहार करते है और बाली मारा जाता है तारा और अंगद दोनो रोते हैं अंत में अंगद को राम की शरण में छोरा जाता है और सुग्रीव को अपना राज्य मिल जाता है। बहुत समय बीत जाता है सुग्रीव अपने भोग विलास में लिप्त होता है तभी लक्ष्मण क्रोध में दरबार में जाते है और क्रोध में अपना धर्म सुग्रीव को याद दिलाते हैं सुग्रीव सारी सेना को लेकर राम जी के पास पहुंचता है। लंका की खोज शुरू होती है वानर इधर उधर ढूंढते है तभी हनुमान जी विशाल समुद्र किनारे और सभी बानर होते है की अब इस समुंद्र को कैसे पार किया जाए जामवंत द्वारा हनुमान की शक्ति को याद दिलाया जाता है और

हनुमान जी आकाश में उड़ अकेले लंका की ओर निकल जाते है। पहले हनुमान को सुरसा मिलती हैं उसके बाद लंकनी और फिर एक स्थान से राम की आवाज आती जिसे सुन हनुमान जी नीचे उतरते है वहा विभीषण जी होते है दोनो में वार्तालाप होता है और विभीषण द्वारा अशोक वाटिका का रास्ता बता दिया जाता है। सीता त्रिजटा के साथ अशोक वाटिका में बैठी गीत गा रही है हनुमान जी पेड़ के पीछे हैं तभी वहां रावण मंदोदरी के संग पहुंचता है और दोनों में संवाद होता है अंत में रावण सीता को महीने में बात ना मानने पर मृत्युदंड देने की बात कह कर निकल पड़ता है तभी हनुमान जी राम जी द्वारा दी गई अंगूठी को गिरा देते हैं जिसे देख सीता पहले तो डर जाती है बाद में पूछती है कि आप कौन हो तभी हनुमान प्रकट होते हैं और दोनों के बीच संवाद होता है अंत में हनुमान जी अशोक वाटिका के फलों को देखकर खाने की बात कहते हैं सीता माता से आज्ञा लेकर वह अशोक वाटिका उजाइने लगते हैं वहां राक्षस गाना आते हैं जिन हनुमान जी खूब इधर-उधर फेंक कर मारते हैं उनमें से एक राक्षस भाग जाता है।

रावण दरबार लगा हुआ है सभी योद्धा बैठे हैं नृत्य चल रहा है तभी एक सैनिक आता है और बताता है कि उनके अशोक वाटिका में वानर आया है जिसने बहुत उत्पात मचा रखा है इसको सुन रावण का पुत्र अक्षय कुमार अशोक वाटिका में जाता है और हनुमान से युद्ध करता है अंत में अक्षय कुमार मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। रावण दरबार में सैनिक आकर अक्षय कुमार के मरने की खबर देता है तभी रावण आग बबूला हो जाता है जिसे देख इंद्रजीत उसको पकड़ कर लाने का निश्चय करता है। मेघनाथ और हनुमान में भयंकर युद्ध होता है अंत में मेघनाथ द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करने पर हनुमान बंदी बन जाता है और उसे रावण दरबार में प्रस्तुत किया जाता है जिसके उपरांत रावण दरबार में हनुमान रावण संवाद होता है और अंत में दंड के रूप में हनुमान की पूंछ में आग लगाया जाता है जिसके बाद लंका दहन हो जाता है और आखिर में हनुमान की राम जी के पास वापसी होती है।