बाराबंकीः जब रावण ने विभिषण को लात मार कर खदेड़ा…
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बाराबंकी। असत्य पर सत्य की विजय लंका दहन के उपरान्त विभिषण ने रावण को समझाने का अर्थात प्रयास करते हुए सीता माता को वापस करने की बात एवं राम जी के शरण में पहुँच कर अपने जीवन में क्रतार्थ करेेे, इस शब्दो को सुनकर रावण ने विभिषण को लात मारकर लंका से बाहर निकाल दिया। विभिषण अपने सचिवों के सहित श्री राम की शरण में पहुँच अपनी सारी त्यथा रहीं राम ने प्रभु किया कि मैं तुमसे लंका से राजा नियुक्त करता हूँ। विभिषण की मंगणा से तीन दिन तक राम जी मार्ग लेने के लिए समुद्र से प्रार्थना करते रहे अन्त में समुद्र के कथानुसार नल, नील, जामवन्त आदि ने विशाल सेतु का निर्माण किया। वही पर भगवान राम ने भगवान शिव लिंग का निर्माण किया जिसका नाम आज भी रामेश्वरम् के नाम से जाना जाता है। पुल पर चढ़कर राम अपनी सेवा के साथ समुद्र के उस पार लंका पहुँचकर उसके चारों तरफ से घेर लिया लक्ष्मण और मेद्यनाथ का युद्ध बाराबंकी के कुशल पागो ने बहुत अच्छे ढंग से निभाते हुए मेद्यनाथ ने लक्ष्मण को शक्ति मार का मुर्छित कर दिया। हनुमान जी के द्वारा सुषेन वैध को लाया गया वैध के कहने पर हूँ अनुमान जी सजीवनी बूटी लेने के लिए द्रोणागिरी पर्वत पर पहूँच बूटी को पहुँचाने में असमर्थता जताते हुए पूरे पर्वत को उठाकर ले आये और लक्ष्मण जी को जीवित किया गया। लक्ष्मण के होश आने पर पुनः युद्ध करते हुए लक्ष्मण ने मेद्यनाथ पर विजय प्राप्त की पुत्र वध से व्याकुल होकर रावण अपने भाई कुंभकरण के पास पहुँच सारा व्यतान्त्र वह सुनाया कुंभकरण ने रावण को समझाने का बहुत प्रयास किया अन्त में रावण ने कुंभकरण को मदिरा के नशे में घुत कर दिया कुंभकरण भी मुद्ध के लिये राम दल में पहुँचा प्रभु राम के द्वारा कुंभकरण का वध हुआ। समस्त युद्ध के बाद रावण अपने पुष्पक विमान पर आरूण होकर राम के पास पहुँच बहुत ही छल और बल से युद्ध करने लगा। रावण की नाभि में अमृत होने के कारण राम के समस्त वार असफल होते गये विभिषण के सलाह के अनुसार राम जी ने अपने धनुष पर एक बार में इक्तीस बाण चढ़ाया बाण सरासन श्रवण लगि छाणे सर इक्तीस और रावण का वध कर दिया डोली भूमि गिरत दशकन्धर कहाँ राम रन हतव पचारी राम जी के नाम का उच्चारण करते हुए रावण ने अपने प्राण त्याग दिये।