महोबा: कुष्ठ रोगियों से भेदभाव न करें, रखें भावनात्मक लगाव-सीएमएस

 

विधान केसरी समाचार

महोबा। कुष्ठ रोगियों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके साथ भावनात्मक लगाव रखकर उनको समाज की मुख्य धारा में शामिल करने में सहायता करनी चाहिए। बातें गांधी जयंती के अवसर पर जिला अस्पताल में कुष्ठ रोगियों को सम्मनित करते हुए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसपी सिंह ने कहीं।

उन्होने कहा कि देश को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करने की जरूरत है। इस रोग के बारे में समाज में कुछ गलत धारनाएं प्रचलित है। ग्रामीण इलाकों में इसे छुआछूत का रोग भी मानते हैं। यह धारणा बिल्कुल गलत है। सही समय इलाज से यह ठीक हो सकता है। इसका इलाज सरकारी अस्पतालों में मुफ्त किया जाता है। बताया कि समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। रोगियों को एमसीआर चप्पल और फल का वितरण किया। उन्होंने पांच रोगियों को एमसीआर व तीन को सेल्फ केयर किट बांटते हुए उन्हें सम्मानित भी किया गया।

फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. सुरेंद्र सिंह ने कहा कि चमड़ी पर सुन निशान, हल्के तांबे रंग के धब्बे कुष्ठ रोग की निशानी है। कुष्ठ रोग से प्रभावित हिस्से पर मरीज को चोट लगने का पता नहीं लगता। नियमित रूप से दवा खाकर रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इसके लिए छह माह और एक साल की खुराक दी जाती है। साथ ही कुष्ठ रोगी सामान्य व्यक्तियों की तरह सभी के साथ रह सकता है। कुष्ठ पर्यवेक्षक गिरिराज कश्यप ने बताया कि जनपद में 30 मरीजों का इलाज चल रहा है। अप्रैल से अब तक 16 नए मरीज चिन्हित किए गए हैं।
विजय नगर के रहने वाले 38 वर्षीय विनोद (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि उनके हाथ में एक छोटा सफेद दाग हुआ। शुरूआत में उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। कुछ महीने बाद शरीर के कई अंगों पर यह दाग फैल गया। उन्होंने जिला अस्पताल आकर चिकित्सक से सलाह ली। तीन महीने से वह इलाज ले रहे हैं। उन्हें अब काफी आराम है। इस दौरान डॉ. चिकित्सा अधिकारी डॉ.योगेंद्र सिंह, डॉ.यतींद्र पुरवार आदि शामिल रहे।

कुष्ठ रोगियों के लिए विशेष प्रकार की चप्पल

राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.अनिल कुमार ने बताया कि कुष्ठ रोगियों के लिए विशेष प्रकार की चप्पल बनाई गई है। इसे माइक्रो सेलुलर रबड़ (एमसीआर) फुटवियर कहते हैं। अगर कुष्ठ रोग की पहचान शुरूआती दौर में हो जाती है और इलाज शुरू कर दिया जाता है तो पीड़ितों को विकलांगता से बचाया जा सकता है। इसलिए कुष्ठ का कोई भी लक्षण हो तो इलाज कराने में विलंब नहीं करें।