लखनऊ: दोनों डिप्टी सीएम में जनहित का कंपटीशन
विधान केसरी समाचार
लखनऊ। यू तो सब कुछ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में चल रहा है लेकिन अपनी विभागीय जिम्मेदारी निभाते हुए उत्तर प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्रीयो में जनहित का कंपटिशन तेजी से पैर पसार रहा है। एक उपमुख्यमंत्री जहां शपथग्रहण के बाद से ही लम्बे समय से बिमार चल रहे स्वास्थ्य विभाग की सेहत सुधारने में लगे हैं वहीं दूसरे ने गांव के विकास का जिम्मा सम्भाल रखा है तथा अम्रत सरोवर, गांव सखी,आर ईएस के द्वारा विकसित करके खुद लोकप्रिय हो रहे हैं तो अपनी सरकार को भी लगातार लोकप्रियता दिला रहे हैं।
ब्रजेश पाठक बीमार स्वास्थ्य विभाग को ठीक करने में जुटे तो केशव प्रसाद ग्राम का विकास
जब उत्तर प्रदेश में दूसरी बार योगी सरकार ने शपथ ली तो केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी देने के साथ साथ स्वास्थ विभाग, तो केशव प्रसाद मौर्य को ग्राम विकास के साथ साथ आर ई एस की जिम्मेदारी भी दी। जिस कारण दोनों उपमुख्यमंत्री अपने अपने विभाग पर काम करने में जुट गए, जब ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ विभाग का मौके पर हाल जाना तो न सिर्फ अधिकारी बल्कि आम जनता भी सोचने को मजबूर हो गई कि योगी जी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार के पूर्व मंत्रियों की देखरेख में चल रहे स्वास्थ्य विभाग को दर्जन भर बिमारी कैसे हो गई। सब जानते थे कि पूर्व मंत्रियों ने स्वास्थ विभाग का सही से इलाज किया होगा लेकिन ब्रजेश पाठक द्वारा दिन प्रतिदिन डालें गए छापों ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश की नाक कहें जाने वाले केजीएमयू की बिमारी पकड़ ली गई बल्कि कई जिला अस्पतालों और सीएचसी पीएचसी सहित सहीत समय पर ड्यूटी न करने वाले स्वास्थ कर्मियों को भी समयबद्ध तरीके से ड्यूटी पहुंचने को मजबूर कर दिया। खास बात यह रही कि व्यवहार कुशल होने के कारण जहां शिकायत कर्ताओं की भीड़ उनके आवास पर उमड़ने लगी वहीं उनकी शिकायतों का निस्तारण भी उनके लिए प्रार्थमिकता बन गया। उसके बाद किसी न किसी अस्पताल की व्यवस्था देखना और वहीं भर्ती मरीजों से मुलाकात कर परेशानी पूछ उसका निस्तारण करना उनकी दिनचर्या व कार्यशैली बनता गया। खास बात यह रही कि श्री पाठक अपने किसी भी आकस्मिक निरीक्षण में अस्पतालों की साफ सफाई, साफ पानी, शौचालय आदि देखना नहीं भूले जिस कारण अन्य शेष बचे अस्पतालों में विभागीय मंत्री के आकस्मिक निरीक्षण पर भय से काफी हद तक व्यवस्था में सुधार हो गया। हलाकि कुछ सियासतदानो ने श्री पाठक के निरिक्षण को सरकार को बदनाम करने षडयंत्र तक बताने में संकोच नहीं किया तो विभागीय अधिकारियों ने भी अपने मंत्री को फेल करने की भरपूर कोशिश की। लेकिन एक सुलझे हुए चिकित्सक की तरह ब्रजेश पाठक मरीज के परिवार की परवाह किए बिना उसे ठीक करने में जुटे रहे जिस कारण उनके आलोचक भी प्रशंसा करते नजर आए और अब बिमार स्वास्थ्य विभाग वेंटिलेटर से हटकर वार्ड में शिफ्ट हो गया है। कहना गलत नहीं होगा कि अब वह खतरे से बाहर है।
केशव मौर्य तो पहली शपथग्रहण से ही लोकप्रिय के रास्ते पर
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य की बात करें तो उन्हें पहली शपथग्रहण से ही जनता की सेवा करने में महारत हासिल रही है। जब उपमुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें लोकनिर्माण विभाग की जिम्मेदारी मिली तो आजादी के बाद से शायद ही उत्तर प्रदेश की कोई सरकार इतनी सड़कें और पुल बनवा पाई हो जितनी उनके कार्यकाल में बनाई गई। इसके बावजूद श्री मौर्य कभी जन शिकायतें सुनकर उनका निस्तारण कराना नहीं भूले शिकायत कर्ता उनसे रात में मिले या सुबह अथवा दोपहर में उनसे मिलते समय उन्होंने कभी अपने चेहरे की मुस्कान को नहीं जाने दिया, जिस कारण शिकायत कर्ताओं की उनके आवास पर भारी भीड़ जुटने लगी। खास बात यह रही कि लोकनिर्माण विभाग मंत्री रहते उनके पास जो सड़क बनाने की फरियाद लेकर गया वह निराश नहीं लौटा और विधायक सांसद तो हमेशा उनकी प्रशंसा करते नजर आए। लेकिन उत्तर प्रदेश में दुबारा सरकार बनने पर उनसे लोकनिर्माण विभाग हटाकर जब ग्राम विकास और ग्रामीण अभियंत्रण सेवा दिया गया तो लोगों को लगा कि यह शायद उनका डिमोशन कर दिया गया है लेकिन उन्होंने इसमें यह कहकर और ज्यादा खुशी महसूस की कि यह विभाग तो सीधा गांव के विकास से जुड़ा है और यह भी जगजाहिर है कि सत्तर फीसदी भारत हों या केवल उत्तर प्रदेश गांव में निवास करता है। खास बात यह है कि सरकार या विकास की सबसे ज्यादा आवश्यकता गांव को है क्योंकि उसमें अधिकांश किसान, मजदूर, गरीब निवास करता है हालांकि श्री मौर्य को ग्राम विकास मिले अभी साल भी पूरा नहीं हुआ है लेकिन अम्रत सरोवर के साथ साथ गांव के विकास की चर्चा पूरे प्रदेश में सुनी जा सकती है। सोमवार मंगलवार के अलावा शायद ही उनका कोई दिन बीतता हो जिसमें श्री मौर्य किसी न किसी गांव के विकास को लेकर जिले में बैठक न करते हों। उसके बाबजूद जनता की शिकायतें सुन निस्तारण कराना वह अपनी जिम्मेदारी के साथ साथ धर्म भी समझते हैं और यह सब उत्तर प्रदेश में दूसरी बार बनी योगी सरकार को लोकप्रियता दिलाने का काम माना जा रहा है। कुल मिलाकर कहना गलत नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार के दोनों उपमुख्यमंत्रीयो में जनता के हित व सरकार को प्रशंसा दिलाने की कामयाब प्रतिस्पर्धा चल रही है जिसे 2024 लोकसभा के आमचुनाव में सफलता का मंत्र माना जा रहा है। मुख्यमंत्री जहां उत्तर प्रदेश से माफियागिरी भ्रष्टाचार पर वार कर अपनी सरकार को जनता की सरकार बनाने में जुटे हैं वहीं दोनों उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को प्रशंसा दिलाने के साथ साथ लोकसभा चुनाव में जनता का विश्वास बरकरार रखने का काम कर रहे हैं।