संग्रामपुर: रुक्मिणी विवाह का मनोरम झांकी की गई प्रस्तुत 

 

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संग्रामपुर/अमेठी। क्षेत्र के टेकनी गांव निवासी राजकुमार पाण्डेय के आवास पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महापुराण के छठवें दिन भगवान कृष्ण – रुक्मिणी विवाह का मनोरम झांकी प्रस्तुत की गई। भागवत कथा के व्यास पीठ पर कथावाचक आचार्य श्रीराम मिश्रा ने पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है।उनमें गाये जाने वाले पंच गीत , भागवत कथा के पंच प्राण है।जो भी ठाकुर जीके पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है।उसे वृंदावन भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। महराज ने कथा में भागवत का मथुरा प्रस्थान,कंस वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम मे विद्या ग्रहण करना, उद्धव गोपी संवाद, द्वारिका की स्थापना, रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का मनोरम झांकी प्रस्तुत की गई और संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया।आस्था और विश्वास के साथ भगवत प्राप्ति आवश्यक है।भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम भी जरूरी है।

भगवान श्रीकृष्ण – रुक्मिणी विवाह की झांकी ने लोगों को खूब आनन्दित किया।कथा के दौरान भक्ति मय संगीत ने श्रोताओं को आनन्द से परिपूर्ण किया। उन्होंने कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मिणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगी। कथावाचक आचार्य श्रीराम मिश्रा ने कथा का महत्व बताते हुए कहा कि भागवत कथा सुनने से उस घर नहीं गांव नहीं जहां तक कथा की आवाज जाती है वहां तक कल्याण होता है।इस कथा मंडप में कथा के छठवें दिन महिलाओं की संख्या अधिक देखी गई। महिलाओं ने कथा वाचक के साथ विवाह के शुभ गीत गाये।