सफला एकादशी से सफल होंगे सारे काम, जानें कथा

 

7 जनवरी 2024 को नए साल की पहली एकादशी यानी सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. पौष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली सफला एकादशी अपने नाम स्वरूप साधक के समस्त कार्य को सफल बनाती है.

इस व्रत को करने से नौकरी-व्यापर, शिक्षा संबंधी आधि क्षेत्रों में सफलता मिलती है. सफला एकादशी का व्रत कथा के बिना अधूरा माना गया है, जानें सफला एकादशी का महत्व और कथा.

सफला एकादशी 2024

पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में चम्पावती नगरी में महिष्मान नामक एक राजा उसके चार पुत्रों के साथ रहता था. उसका सबसे बड़ा लुम्पक नाम का पुत्र महापापी और दुष्ट था. वह हमेशा कुकर्मों में लीन रहकर देवी देवताओं की निंदा करता था. एक दिन राजा ने क्रोध में आकर उसे राज्य से बेदखल कर दिया था. इसके बाद लुम्पक जंगल में रहकर मांसाहार खा कर अपना जीवन यापन कर रहा था.

पापी ने अनजाने में पूरा किया सफला एकादशी व्रत

कहते हैं कि कभी-कभी अनजाने में भी प्राणी ईश्वर की कृपा का पात्र बन जाता है। ऐसा ही कुछ लुम्पक के साथ भी हुआ. एक बार भीषण ठंडी की वजह से वह रात में सो नहीं पाया. रातभर ठंड में कांपता रहा जिसके कारण वह मूर्छित हो गया. उस दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि थी. अगले दिन जब होश आया तो अपने पाप कर्मों पर पछतावा हुआ और उसने जंगल से कुछ फल इक्ट्‌ठा किए और पीपल के पेड़ के पास रखकर भगवान विष्णु का स्मरण किया. इस सर्द रात को भी उसे नींद नहीं आई वह जागरण कर श्रीहरि की आराधना में लिप्त था. ऐसे में अनजाने में उसने सफला एकादशी का व्रत पूरा कर लिया.

कार्यों में पाई सफलता

सफला एकादशी व्रत के प्रताप से विष्णु जी ने उसे समस्त पापों से मुक्त कर दिया और वह पुन: राज्य में पिता के पास रहने लगा. पिता ने सारी बात जानकर पुत्र लुम्पक को राज्य की जिम्मेदारी सौंप दी और वन में हरि भजन करने चले गए. लुंम्पक ने वृद्धावस्था तक शास्त्रानुसार राज किया और अंत में वन में जाकर विष्णु जी का पूजा, एकादशी व्रत के फल स्वरूप मोक्ष प्राप्त हुआ. मान्यता है कि सफला एकादशी का व्रत व्यक्ति के सारे कार्य सिद्ध कर देता है.