अगर दूसरे देश से चंदा लेना गलत तो सब पर लागू हो ये नियम-मौलान सूफियान निजामी

 

अवैध मदरसों की जांच कर रही एसआईटी की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में करीब 13 हजार मदरसों को बंद करने की सिफारिश के बाद हलचल बढ़ गई है. इसे लेकर दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने खाड़ी देशों से मदरसों की फंडिंग को गलत बताया है.

मौलाना सुफियान निजामी ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा, “मदरसे इस्लामिया इस मुल्क की जिहालत को दूर करने में बड़े पैमाने पर अपनी कोशिशों को अंजाम दे रहे हैं. जहा तक बात है इन मदरसों के सोर्स ऑफ इनकम की तो यह आवाम-ए चंदा होता है. जो मुसलमान मालदार है वह अपनी खैरात की रकम को यहां देता है. जिहालत को दूर करने में हमने अहम भूमिका निभाई है.”

मौलाना सुफियान निजामी ने आगे कहा कि अब हम पर ये आरोप लग रहे हैं कि इन मदरसों की फंडिंग खाड़ी देशों से हो रही है तो यह सही नहीं है. अगर यही पैमाना है कि किसी की भी फंडिंग खाड़ी देशों से नहीं होनी चाहिए तो बाकी जगहों पर भी यह लागू हो. चाहे वह किसी भी धर्म के आश्रम हों या विद्यालय हों. ऐसे आश्रम जो आवामी चंदा लेते हैं या उनके मानने वाले दूसरे देशों से चंदा भेजते हैं, उनकी भी जांच होनी चाहिए. यह बात सभी के लिए साफ कर देना चाहिए कि दसरे मुल्क से चंदा लेने की अनुमति नहीं होगी. अगर ऐसा होता है तो हम इसका स्वागत करते हैं, लेकिन सिर्फ एक वर्ग को इस कानून के तहत बदनाम करना ठीक बात नहीं होगी.

एसआईटी ने करीब 13 हजार मदरसों को बंद करने की सिफारिश करते हुए अपनी जांच रिपोर्ट यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंपी है. जांच में जो मदरसे अवैध पाए गए हैं उनमें से ज्यादातर नेपाल सीमा पर स्थित हैं. एसआईटी ने रिपोर्ट में कहा है कि इन मदरसों का निर्माण पिछले दो दशकों में खाड़ी देशों से मिले फंड से किया गया है. एसआईटी ने जिन 13 हजार मदरसों को बंद करने की सिफारिश की है, वे महाराजगंज, श्रावस्ती, बहराइच समेत 7 जिलों में हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये मदरसे अपने सोर्स ऑफ इनकम को भी नहीं दिखा पाए.