अस्पताल के बाहर बोर्ड लगा रचना चाहिर जिसमे डॉक्टर का नाम ओपीडी,नम्बर फोटो लगा रहना चाहिए।
दिनेश पाण्डेय: मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अश्वनी कुमार ने बताया कि जिसमें अस्पतालों में कार्यरत डाक्टर का नाम विशेषता मोबाइल नंबर फोटो अस्पताल के मुख्य द्वार पर लगे बोर्ड पर लगाना होगा तथा ओपीडी करने वाले डाक्टरों की ओपीडी का समय भी बोर्ड पर लिखना होगा। स्वास्थ्य विभाग में रजिस्ट्रेशन अभिलेखों से एक ही चिकित्सक की एमबीबीएस डिग्री लगाकर जगह-जगह निजी अस्पताल खोलना अब आसान नहीं होगा। क्योंकि अब निजी अस्पतालों के बाहर चिकित्सक का नाम, मोबाइल नंबर सहित पूरा डाटा लिखा बोर्ड लगाना होगा, इससे ऐसे लोगों पर शिकंजा कसेगा जो एक ही चिकित्सक के नाम पर कई अस्पताल संचालित कर फल फूल रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पंजीकृत हॉस्पिटलों को पत्र जारी करवाया गया है। निजी अस्पताल संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग से पंजीकरण पत्र लेना होता है। पत्रावलियों में अस्पताल में उपलब्ध साधन, संसाधन व विशेषज्ञ डाक्टरों का जिक्र करना अनिवार्य है। चिकित्सक किस रोग के विशेषज्ञ हैं, इसका भी जिक्र करना होता है।
पंजीकरण कराने की इस प्रक्रिया में कुछ लोगों द्वारा हेरफेर भी किया जाता है। अलग-अलग अस्पतालों में एक ही डाक्टर सेवाएं देते हैं। जबकि यह नियमानुसार सही नहीं है। इसका लाभ हाईस्कूल, इंटर पास युवक उठाते हुए मरीज का उपचार करते हैं। अक्सर ऐसे कई मामले प्रकाश में आने के बाद शासन स्तर से सख्ती की गई है, जिसके अंतर्गत निजी अस्पतालों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। जिसमें अस्पतालों में कार्यरत डाक्टर का नाम, विशेषता, मोबाइल नंबर, फोटो अस्पताल के मुख्य द्वार पर लगे बोर्ड पर लगाना होगा तथा ओपीडी करने वाले डाक्टरों की ओपीडी का समय भी बोर्ड पर लिखना होगा।
सीएमओ द्वारा निजी अस्पताल सेंटर संचालकों को दिए गए निर्देशों में कहा गया है कि पंजीकरण व नवीनीकरण प्रमाण पत्र हमेशा अस्पताल में उपलब्ध रहना चाहिए।
ये सब सख्ती होने के बाद देखना है कि क्या दलाली पर कोई अंकुस लगता हैं जिसमे दसवीं पास हॉस्पिटल खोल व आला लगाकर घूमते हैं।