प्रयागराज: अपनी लगन से शक्ति का प्रतीक बनीं अनुष्का पाठक
विधान केसरी समाचार
प्रयागराज। सिंगहा नेबुआ नौरंगिया के सौरहां खुर्द के चरिघरवा पूरब टोला को रहने वाली अनुष्का पाठक को आठ वर्ष की उम्र में ही देश स्तर पर पहचान मिल गई है। ग्रामीण परिवेश की इस मेधा ने अपनी चमक ऐसी बिखेरी कि राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिला। यह यूं ही नहीं हुआ, बल्कि कम उम्र में उन्होंने अपने को इस कदर साधा कि सरस्वती की कृपा बरस पड़ी। चार वर्ष की अवस्था से कथा वाचन में लगीं तो उनकी लगन ने बड़े मंच की राह खोल दी। शक्ति बचपन से ही कथा वाचन में रमा मन, आठ वर्ष की उम्र में ही संभाल रहीं मंच का प्रतीक बनकर खड़ी हैं। कम उम्र की इस कथा वाचिका के ज्ञान को देखकर लोग स्तब्ध रह जाते हैं। इनकी कथा सुनने के लिए देश के कई प्रदेशों में मांग ही रही है।
अनुष्का जब चार वर्ष की थी, तभी से उसका मन धार्मिक मार्ग की और उन्मुख होने लगा। वह कथा वाचन के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रही हैं और नाम कर रही हैं। श्रीमद्भागवत व रामचरित मानस का रसपान करा रहीं अनुष्का के मुख से संस्कृत के वाक्यों व उनके अर्थ को सुनकर हर कोई अभिभूत हो जाता है। उनकी इस प्रतिभा को देखते हुए कथाओं में। धारा प्रवाह फूटता सरस्वती का स्वर, ओताओं को कर देता है। जनवरी में दिल्ली के विज्ञान भवन में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024 के पुरस्कार वितरण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुमुं द्वारा कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में योगदान देने पर सम्मानित किया गया।
यह अनुष्का ने बताया कि अभी तो शुरुआत है, आगे और बड़ा मुकाम तय करना है। कक्षा चार तक पढ़ीं अनुष्का का कथा वाचन, एक मर्मज्ञ की तरह है। वह इसके पीछे सरस्वती की कृपा और अपनी लगन को कारण बताती हैं।आज एक पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि मैं कोई भी पैसा नहीं लेती हूं भक्त गण खुद ही जो एक लड़की की शादी में लगता है उससे ज्यादा खर्च करते हैं क्योंकि श्री मद भागवत में लिखा है कि जितना एक लड़की की शादी में खर्च होता है उतना कथा में लगता है।अभी कुछ दिन से एक कथा का वाचन अनुष्का ने विद्यार्थी पब्लिक स्कूल अनापुर में किया जिसका रसास्वादन सैकड़ो भक्तो ने किया प्रेस वार्ता में अनुष्का पाठक कथा वाचिका के साथ विद्यालय के चेयर मैन अनिल विद्यार्थी, जनरल मैनेजर प्रियंका के साथ कर्मचारी भी उपस्थिति रहे।