डीएम साहब मानक बिहीन चल रहे डायग्नोस्टिक सेंटरों पर हो कार्यवाही गरीबो के साथ हो रहा है शोषण।
दिनेश पाण्डेय: जनपद में लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। बिना रेडियोलॉजिस्ट के ही तमाम अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित हैं। अभी भी किराए की डिग्री पर लाइसेंस दिलवाने का खेल चल रहा है। इससे लोग लाइसेंस के लिए सीएमओ कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।
कन्या भ्रूण हत्या रोकने की मुहिम के बीच लिंग परीक्षण करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है। जिले में करीब हजारों अल्ट्रासाउंड चल रहे हैं।
अधिकांश सेंटरों पर रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं। सीएमओ कार्यालय में नर्सिंगहोम व अल्ट्रासांउड सेंटर का लाइसेंस देने वाले पटल से ही मानकों की अनदेखी शुरू हो जाती है।
लाइसेंस बनवाने का ठेका लेकर एमबीबीएस डॉक्टर व रेडियोलॉजिस्ट के कागजात भी उपलब्ध करा रहे हैं। हर काम के रेट निर्धारित हैं। हालांकि प्रशासन की कमेटी द्वारा अल्ट्रासाउंड सेंटर के लाइसेंस की स्वीकृति दी जाती है, लेकिन फाइल दिखाने वाले स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी उन्हें भी गुमराह करते हैं। खुल के स्वास्थ्य विभाग आज तक पंजीकृत रेडियोलॉजिस्ट के बारे में जानकारी नहीं दी है। तय मानक पूरा करने के बाद ही सेंटरों का पंजीयन कर विभाग ने संचालन की मान्यता दी जानी चाहिए। डीएम ने जिले में संचालित सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच के टीम गठित कर रिपोर्ट उपलब्ध करे हो जाएगा खुलासा ।यह कार्य लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) को सौंपा जाय। कचहरी रोड रॉबर्ट्सगंज, घोरावल,चोपन,कोन, दुद्धी,अनपरा,पिपरी,पन्नूगंज,कर्मा समेत कइयों जगहों पर छोटा सा बोर्ड लगाकर अल्ट्रासाउंड का केंद्र बन गया हैं जो पूरे तरीके से फर्जी हैं। इतना ही नही गाँव गाँव आशा बहुए हर अल्ट्रासाउंड सेंटर पर गरीबो को ले जाती है और 30 से 40 परसेंट कमीशन लेती है ।