हां मैं गलतफहमी का शिकार और डरपोक नहीं हूं
मिशन लेकर विज़न पर निकला विनेश भईया
पढ़ें, सोचें और चलें
एक पत्रकार हूं सच्चाई और ईमानदारी से एक अच्छा मार्ग दर्शक बनकर सफलता की गारंटी तक काम करना चाहता हूं देश की चिकित्सा में सबसे बड़ा रिस्की आपरेशन लीवर ट्रांसप्लांट जल्दी से कराना भी मेरी इसी योजना का हिस्सा का है वरना आप लोगों ने देखा होगा कि मैं पूरी तरह मीटिंग करके दौड़ रहा था चाहता तो पांच साल काट सकता था लेकिन अपने विज़न को सफलता तक पहुंचाने के लिए सोचा लीवर में कमी है पहले ट्रांसप्लांट कराकर देख लूं आपरेशन के बीच चलता बना तो ठीक है यदि बच गया तो समाज को सम्मान देकर पच्चीस तीस साल वास्तविक में और सौ साल फोटो में जीने का अवसर मिलेगा लेकिन अपना वोट पहले ही कम है इसलिए केवल जाति के बल पर सफलता नहीं मिल सकतीं और समकक्ष जातियों की बात करें बिहार की जनगणना के अनुसार हम उत्तर प्रदेश में ही नहीं देश भर में चालीस प्रतिशत से कम नहीं है और यदि जाट यादव कुर्मी लोधी गुर्जर जैसे बड़े ओबीसी भाईयों की बात करें तो जो मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री दस-बीस सांसद मंत्री मुख्यमंत्री दे चुके हो और वर्तमान में भी उनके प्रतिनिधि आरक्षण के हिसाब से सत्ताईस नहीं चालीस प्रतिशत हो और धनाढ्य हो वो भला हमारा नेतृत्व क्यों स्वीकार करेंगे वैसे भी वो लोग हमें अवसर मिलते ही जातिसूचक शब्दों से सम्मान देने में कमी नहीं करते।
वैसे भी जातियों में बटे होने के कारण जनसंख्या में कम है।
इस लिए समकक्ष जातियों को जमात में शामिल कर बड़ी योजना बनाई है ताकि अपने अन्य पिछड़े वर्ग के भाई भी जनसंख्या अनुपात में हिस्सेदारी पा सकें।
मैं चाहता हूं अपना समाज कम से कम आबादी के अनुपात में लोकसभा विधानसभा चुनाव में प्रतिनिधित्व करें। अकेले न वो जातियां सम्मान पा सकती है और ना हम मेरी योजना प्रतिनिधित्व हीन जातियों को अपनी अपनी जातियों का अपने से बड़ा नेतृत्वकर्ता बनाकर सात आठ को आगे लेकर हैलीकॉप्टर या जहाज से देश भर में भाईचारा रैली अधिकार लो रैली परिवार जोड़ रैली कराने की योजना बनाई है जिसे परवान चढ़ाने की सोची है।
सबसे पहले और बच्चों को जातिगत कहलाने में बड़ी ग्लानि महसूस होती है इस लिए पहली जिम्मेदारी इस टाईटिल से मुक्ति दिलाने की रहेंगी जो अपने लोगों के पर्याप्त संख्या में विधायक सांसद बने बिना नहीं है क्योंकि अपने को ही या भुक्तभोगी को ही अपने दर्द का अहसास होता है वरना जाके पैर न फटी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई ,आज उत्तर प्रदेश में हमारे एक एमएलसी है जो मेरे घनिष्ठ मित्र भी हैं अकेले होने के बावजूद सामाजिक-आर्थिक और सरकारी रूप से भी हद से ज्यादा मदद करते हैं जिसका मैं चश्मदीद हूं लेकिन इतने बड़े प्रदेश में एक अकेला व्यक्ति क्या क्या करें। जबकि वह जातिगत आधार पर नहीं व्यक्तिगत आधार पर एम एल सी बनते रहे हैं उसके बावजूद अपने समाज का जितना हो सके उतना हर सम्भव काम आना चाहते हैं उनका उदाहरण देने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि अपना चाहे जिस दल या पद पर हों चाहे जाति छिपाकर रहें या खुलकर प्रत्येक को सामाजिक पीड़ा होती है लेकिन हमारे लोग किसी की क्षमता से ज्यादा उम्मीदें पाल लेने के कारण आलोचना पर उतर आते हैं,उसके बावजूद तमाम आलोचना उन्हें झेलनी पड़ती है मैं तो किसी के काम का भी नहीं हूं इसके बावजूद जितना योगदान मुझे जीवनदान देने में मेरे भाई भतीजे का है समाज के प्रत्येक सदस्य का भी कम नहीं है मैं गारंटी से कहता हूं कि अपने समाज के सभी लोग बहुत अच्छे हैं लेकिन भोले भी है तभी तो किसी को सम्मान देने में संकोच नहीं करते मैं उन सभी से सिर्फ इतना चाहता हूं तीन साल बेमिसाल करते हुए पार्टी गत राजनीति से ऊपर उठकर अपने समाज के सम्मान हेतु गहरे मन से मेरी योजना में साथ दे क्योंकि जनसेवा दल प्रस्तावित है और पावर प्रोजेक्ट के रूप में हिस्सेदारी दिलाने के लिए तैयार किया गया है जिसमें आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक राजनीतिक नुक़सान नहीं फायदें की गारंटी को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है, जिसमें लाभ के पात्र केवल अपने समकक्ष की जातियों को रखना है जों बड़े भाई चुनाव के समय हमारी जातियों को अपने, और बीत जाने के बाद जाति सूचक शब्दों के साथ गांव गांव अपमानित करने मारने पीटने में संकोच नहीं करते।
अधिकांश मामलों में उत्पीड़न झेलने सरकारी सपोर्ट न होने के कारण उल्टे उन्हें झूठे मामलों में फंसा दिया जाता है इसलिए मैं सभी अपने बड़े छोटे भाई-बहन बहनों से खासकर युवाओं से अपील करता हूं कि इस विज़न में मददगार बनाकर और बनकर मेरे साथी बने और यदि मैं ज्यादा समय न दे सकूं तो भी इसी रास्ते पर चलकर समाजिक सम्मान हासिल करें यही सत्ता या सत्ता में हिस्सेदारी का ही सबसे कामयाब रास्ता है, सरकारें सभी अच्छी रहीं हैं लेकिन मांगने वाले कमजोर हो तो उसे मिलना मुश्किल रहता है रात के दो बजे अपने होटल के रूम से इसीलिए लिख रहा हूं कि समाज के जिम्मेदार लोगों को भले ही सरकार की कोई आवश्यकता न हो लेकिन अस्सी प्रतिशत लोगों को सरकार की बड़ी आवश्यकता है क्योंकि सत्ता ही प्रत्येक समस्या रूपी ताले की वह मास्टर चाबी है जिससे समस्त समस्याओं का ताला खोला जा सकता है मेरी अपील यह भी है कि समाज के जिम्मेदार लोग अपने सामाजिक संगठनों के नेताओ से बातचीत करके समर्थन की अपील करें मैं दावे के साथ कह सकता हूं उनका कोई नुक्सान नहीं होगा और विज़न को कामयाब होने में देर नहीं लगेगी। नमस्कार सवा चार बज चुके हैं सभी लोग अपने-अपने बच्चों परिवार रिस्तेदारो के लिए या विवाह शादी जन्मदिन शुभकामनाएं करते हैं उससे आधा जिम्मेदारी समझ कर भी घर बैठे फोन करके कही जाकर या बैठक कर या ग्रुपों में जोड़कर मछली की आंख देखकर काम करें तो कामयाबी हासिल की जा सकती है सभी को मेरा नमस्कार। आपका आभारी रहूंगा, विनेश ठाकुर सम्पादक विधान केसरी लखनऊ फिलहाल बीएलके मैक्स अस्पताल के सामने एक होटल में पूरे परिवार के साथ नई दिल्ली में लीवर ट्रांसप्लांट कराकर डिस्चार्ज होकर आया हूं जल्दी से मुलाकात करेंगे।
बेटा और डोनर भतीजा बराबर में सो रहा हूं चुपके से लिख रहा हूं वरना नाराज होता हैं कहते तुम्हें अपनी चिंता नहीं है अब इन्हें क्या पता है कि जो परिवार के लिए जीवन लीवर मिला था वह तो खर्च हो गया जो नया जीवन दान तुने दिया है उसमें यदि समाज सहयोग करें तो उसके लिए समर्पित कर चुका हूं ।खैर जो भी हो लड़ाई बड़ी है और आसान भी है बिना नुक़सान धरने प्रदर्शन के लड़ने की है योजनाबद्ध तरीके से काम करके सफलता हासिल करने वाली है। जल्दी मिलते हैं हो सकें तो दुआएं देते रहे क्योंकि इन्सान रूपी भगवान से बड़ा कोई नहीं मैं स्वयं इस अपने जीवनदाता भतीजे भगवान के साथ सो रहा हूं।
आप सभी का छोटा भाई क्योंकि लीवर अट्ठारह साल का है और मैं भी ख़ुद को युवा महसूस कर रहा हूं और इसके लिए पहले उत्तर प्रदेश फिर पूरे देश में काम करना है यदि राज्य वार भी मेरे विज़न को उत्तर प्रदेश की शुरुआती दौर की तरह हिम्मत हौसला और सपोर्ट मिला तों याद रखना तीन नहीं तो दो प्रतिशत विधायक सांसद बनाकर ही दम लूंगा। आगे की योजना भी बनाई है।
विनेश भईया लखनऊ
फिलहाल दिल्ली 7895233333