बकरीद पर रंग लाई सीएम योगी की पहल, ना सड़कों पर पढ़ी गई नमाज

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यूपी में सीएम योगी की पहल रंग लाई है। उनकी अपील पर मु्स्लिम धर्मगुरू भी आगे आए और प्रदेशभर में मुस्लिमों ने ईदगाहों में ईद-उल-अजहा की नमाज पढ़ी। 30 हजार से अधिक स्थानों पर बकरीद की नमाज पढ़ी गई। इस दौरान तकरीबन 3 हजार संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा सख्त रही। इस दौरान चिह्नित स्थानों पर ही कुर्बानियां दी गईं। संवेदनशील इलाकों में आसमान से ड्रोन से निगरानी की गई। एक दिन पहले ही पुलिसबल ने फ्लैगमार्च करके सुरक्षा का भरोसा जताया था।

सीएम योगी के आह्वान पर इस बार भी प्रदेश में कहीं भी यातायात बाधित कर सड़कों पर ईद की नमाज़ नहीं अदा की गई। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी सीएम के अपील का समर्थन किया था, नतीजतन, ईद की नमाज़ ईदगाह या अन्य तयशुदा पारंपरिक स्थान पर ही हुई।

कई क्षेत्रों में जहां मस्जिद और ईदगाह में जगह कम थी वहां तो अलग-अलग शिफ्ट में लोगों ने नमाज़ पढ़ी। इससे पहले, प्रदेश में ईद उल फित्र की नमाज़ के समय भी ऐसी ही अभूतपूर्व स्थिति देखी गई थी, जब मुख्यमंत्री की अपील पर लोगों ने मस्जिदों में ही नमाज़ अदा की थी। वहीं प्रदेशभर में सुरक्षा को लेकर तगड़े इंतजाम किये गये थे। संवेदनशील इलाकों में ड्रोन के जरिए आसमान से निगरानी की गई तो जमीन पर भारी पुलिस बल ने एक दिन पहले ही फ्लैगमार्च निकालकर लोगों में सुरक्षा का भरोसा जगाया था।

बकरीद को लेकर सीएम योगी ने पहले ही प्रदेश के सभी जिलों के अधिकारियों और प्रदेश स्तर के वरिष्ठ अफसरों को निर्देशित कर दिया था। उन्होंने कहा था कि थाना, सर्किल, जिला, रेंज, जोन और मंडल स्तर पर तैनात वरिष्ठ अधिकारीगण अपने-अपने क्षेत्र के धर्मगुरुओं, समाज के अन्य प्रतिष्ठित जनों के साथ संवाद बना कर रखें, जिससे जनता के बीच सकारात्मक संदेश जाए।

सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था को शीर्ष प्राथमिकता पर रखने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिशें रंग लाने लगी हैं। शांति और सौहार्द के साथ धार्मिक आयोजन होना यूपी में एक परंपरा बनती जा रही है। योगी राज में कानून व्यवस्था ने अन्य राज्यों के सामने नजीर पेश किया है। बीते सात साल से प्रदेश में एक भी दंगा न होना और सभी बड़े पर्व और आयोजन सकुशल संपन्न होने से प्रदेश की छवि जहां कर्फ्यू मुक्त प्रदेश की बनी है वहीं देशभर के अन्य राज्यों के लिए भी कानून-व्यवस्था के मामले में यूपी रोल मॉडल साबित हुआ है। बीते रामनवमी पर भी देश के कई राज्यों से हिंसा और उत्पात की अनेक घटनाएं हुईं थीं, जबकि उत्तर प्रदेश में 800 से अधिक शोभायात्राएं निकलीं और विवाद की एक भी घटना नहीं हुई।