लखीमपुर खीरीः एक पूजनीय स्थलः नाग पंचमीः जहां रखी जाती देवकली की मिट्टी,वहां नहीं आते सांप कुंड में स्नान से दूर होता है कालसर्प दोष

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लखीमपुर खीरी । देवकली को लेकर मान्यता है कि यहां बने कुंड में नाग पंचमी के दिन स्नान करने और कुंड की मिट्टी घर ले जाकर रखने से सांपों के डसने और घरों में आने का भय नहीं रहता है। तीर्थ स्थल पर प्रत्येक वर्ष विशाल मेला लगता है। इस बार बड़ी संख्या में लोग उमड़े।

लखीमपुर खीरी के देवकली का देवेश्वर नाथ मंदिर जिले और आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र है। नाग पंचमी के दिन काल सर्प दोष के निदान के लिए देवकली का विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि सर्प आहुति करने वाले कुंड में नाग पंचमी के दिन स्नान करने और कुंड की मिट्टी घर ले जाकर रखने से सांपों के डसने और घरों में आने का भय नहीं रहता है। तीर्थ स्थल पर प्रत्येक वर्ष विशाल मेला लगता है। नाग पंचमी के दिन काल सर्प योग शांति महायज्ञ होती है। इस बार नाग पंचमी पर यहां लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। सैकड़ों लोगों ने कुंड में स्नान किया। देवकली के बाबा देवेश्वरनाथ मंदिर में प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी का विशाल मेला लगता है। यहां बने दर्जनों शिवलिंगों के पास आसपास जिले से आने वाले लोग सर्प दोष मुक्ति के लिए सामूहिक हवन करवाते हैं। इस वर्ष भी काल सर्प योग शांति महायज्ञ श्रावण शुक्ल नाग पंचमी को श्रीमती चंद्रकला आश्रम-संस्कृत विद्यापीठ के तत्वाधान में हुआ।

यह है मान्यता 

यहां जो देवतीर्थ हैं उसमें गोदावरी नदी से जल लाकर प्रतिष्ठित करवाया गया था। उसके साथ त्र्यंबकेश्वर सहित द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना कराई। कालसर्प योग दोष शांति का मुख्य स्थान नासिक है और उसके बाद देवकली तीर्थ स्थल है। क्योंकि कालसर्प योग दोष शांति के लिए त्रयंबकेश्वर एवं गोदावरी नदी के जल का होना आवश्यक है। किवदंती है कि देवकली में राजा परीक्षित के पुत्र राजा जन्मेजय ने सर्प विनाश यज्ञ किया था। सर्पों के भांजे आस्तिक मुनि ने राजा जन्मेजय से तक्षक नाग की आहुति दान में मांगकर संपूर्ण सर्प जाति को बचा लिया था। तभी से देवकली तीर्थ स्थल से सर्पों का विशेष लगाव हो गया। यज्ञ करने वाले कुंड में नाग पंचमी के दिन लोग स्नान करते हैं। कुंड की मिट्टी घर ले जाते हैं। क्षेत्र के दर्जनों सपेरे नाग लेकर आते हैं। मेले में आने वाले श्रद्धालु नागों को दूध पिलाते हैं और पूजा पाठ भी करते हैं।