खीरी टाउन खीरीः 300 वर्ष पुराने ऐतिहासिक मेले का अस्तित्व खतरे में, नगर पंचायत बोर्ड की खींच तान के चलते नहीं मिली अनुमति
विधान केसरी समाचार
खीरी टाउन खीरी। ऐतिहासिक बीसवें मेले का वजूद दिन-ब-दिन खत्म होता दिखाई दे रहा है क्योंकि नगर पंचायत के बोर्ड की खींचतान में दुकानदारों और झूले वाले वालों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है दिन-ब-दिन मेले की तरक्की का ग्राफ लुढ़कता हुआ दिखाई दिया है।
मालूम हो कि इमाम हुसैन से संबंधित इस बीसवें मेले का आयोजन तकरीबन 300 बरस से ज्यादा से होता चला आ रहा है जिसकी जिम्मेदारी नगर पंचायत प्रशासन को दी जाती है जिसके नेतृत्व में इस मेले का आयोजन होता है इस मेले में दूर दराज से दुकानदार और झूले मौत कुएं वाले आते हैं लेकिन कुछ दिन पहले मेला प्रभारी बनने को लेकर चेयरपर्सन के देवर और नगर पंचायत सभासद के मध्य मतभेद हुआ था जिसकी वजह से सभासद ने एस पी को तहरीर देकर कार्यवाही करने का आवेदन किया था फिर इसके बाद मेले में लगाने वाले दुकानदारों से किराया उसूल को लेकर चेयरपर्सन के शहर और नगर पंचायत के मेंबरों के मध्य कहां सुनी भी हुई थी लेकिन हद तो तब हो गई जब मेले में लगने के लिए झूले बाहर से आए तो नगर पंचायत ने झूले वालों की अनुमति के लिए कोई मदद नहीं की और झूले वाले इस बात को लेकर परेशान हैं मालूम हो कि मेले में बड़े झूले लगाने के लिए प्रशासन की तरफ से अनुमति ली जाती है लेकिन इस बार बड़े झूले और मौत के कुएं को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी इस संबंध इस संबंध में नगर पंचायत ने मीटिंग भी की पर उसमे कोई हल न निकल सका, झूले वालों ने बताया कि चेयरपर्सन ने कोई भी झूले वालों के लिए बेहतर रवैया अख्तियार नहीं किया जिसके सबब जिला प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया और झूले वालों के चेहरे पर मायूसी देखने को मिली।
अगली बार नहीं आयेंगे झूले
इस संबंध में झूले वालों से बात की गई तो गुलाम झूले वालों ने बताया कि अगर इस तरह का रवैया नगर पंचायत का रहता है तो अगली बार यहां आने के लिए सोचा जाएगा क्योंकि एक बार आने के लिए तकरीबन 40 से 50 हजार का भाड़ा लगता है हम लोगों की कमाई जिस दिन ताजिया चैकपर आते है ,जिस दिन झाकियां सजाई जाती हैं ,जिस दिन ताजिया दफन होते हैं इन-तीन दिन ही कमाई होती है अब वह दिन तो गुजर गए हैं इसलिए अगली बार यहां आने के लिए सोचेंगे और जो भी आना चाहेगा उसको भी सचेत करेंगे।
दुकानदार भी मायूस
दुकानदारों का कहना है कि अगर बड़े झूले नहीं चलेंगे तो बाहर से कम लोग आएंगे तो हम लोगों की बिक्री पर भी बहुत असर पड़ेगा।