इन चीजों के बिना अधूरी है कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा
इस साल 26 अगस्त, सोमवार को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस पावन अवसर मंदिरों से लेकर घरों तक में विशेष तैयारियां की जाती हैं। जगह-जगह पर कृष्ण जी की भव्य झांकियां लगाई जाती है। वहीं लोग अपने घरों में भी झांकी सजाते हैं। जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी की पूजा के साथ व्रत करने का भी विधान है। कहते हैं जन्माष्टमी के दिन उपवास रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से मुरलीधर कन्हैया भक्तों के सभी दुख-तकलीफ दूर कर देते हैं। तो आइए अब जानते हैं कि जन्माष्टमी की पूजा में किन-किन पूजा सामग्रियों की जरूरत पड़ती है।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा सामग्री
- भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र
- चौकी और लाल या पीला कपड़ा, पूजा की थाली
- रुई, दीपक, तेल, अगरबत्ती, कपूर और धूप
- फूल, गेंदे का फूल, तुलसी दल, केले के पत्ते, सुपारी, पान के पत्ते, गुलाब के फूल
- मिठाई (लड्डू, पेड़ा), फल, दही, मक्खन, मिश्री, पंच मेवा, दही, पंजीरी
- पंचामृत (दही, दूध, घी, शहद और चीनी का मिश्रण)
- गंगाजल, इत्र की शीशी, चंदन, कुमकुम अक्षत और शुद्ध जल
- लड्डू गोपाल के लिए श्रृंगार का सामान (बांसुरी, कुंडल, पगड़ी, कड़े, माला, टीका, पाजेब या कमरबंध, काजल, मोर पंख )
- कान्हा जी के लिए झूला और मोरपंख
जन्माष्टमी पूजा का महत्व
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से संपूर्ण इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन विधिपूर्वक यशोदा नदंन की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। वहीं जिन दंपतियों की संतान की चाह है वे जन्माष्टमी की दिन लड्डू गोपाल की उपासना जरूर करें। साथ ही उन्हें माखन, दही, दूध, खीर, मिश्री और पंजीरी का भोग भी लगाएं। जन्माष्टमी का व्रत रखने से भक्तों के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और धन-संपन्नता में भी बढ़ोतरी होती है।