इस अवसर पर उपस्थित जन्म समुदाय को अध्यात्मिक संदेश देने के लिए श्री कृष्ण की चैतन्य झाकी सजाई गई जिसका उद्घाटन दीप प्रज्वलित करके किया गया।
दिनेश पाण्डेय: झांकी मे श्री कृष्ण के बाल रूप मे सजे- शौर्य,आरव, प्रियांशु, राधा के रूप मे सजी -वैष्णवी साक्षी , यशोदा के रूप मे सजी- कु ज्योति कु स्वेता,मनमोहक वेश-भूषा और शारीरिक भाव -भावनाओं से योगेश्वर श्री कृष्ण के जीवन को साकार कर रहे थे। कु नेहा, रिद्धि,आयुष्मान,ज्योति आर्ना,वैष्णवी,साक्षी,आरव श्वेता , साक्षी, नृत्य कला से लोगो को आध्यात्मिक संदेश दिया।
सत्य गीता ज्ञान एक अनोखी क्रान्ति और कहां मिलेगा श्याम रसखान व श्री कृष्ण की अद्भुत लीला को नृत्य नाटिका के रूप मे देव, दीप, वैभव, हर्षित रिशु, नायरा, रिद्धि, शौर्य,नेहा ने प्रस्तुत कर उपस्थित भक्त जनों मे भक्ति भाव का संचार किया ।इस अवसर पर स्थानीय सेवाकेंद्र की मुख्य संचालिका ब्रह्माकुमारी सुमन दीदी ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व के आध्यात्मिक रहस्य को समझाते हुए कहा कि श्रीकृष्ण का अर्थ है मन के श्रेष्ठ भावो का आकर्षण | जब मनुष्य देहभाव रूपी घड़े का भंजन होता है, तभी हमारे अंदर से आत्मिक चेतना रूपी मक्खन का प्राकट्य होता है | आत्मिक रूप में स्थित होकर कर्म करने से ही पूर्ण निष्काम कर्म संभव है| दैहिक-स्मृति के कारण मनुष्य का मन इस भौतिक जगत में श्रीकृष्ण के एक अन्य नाम नटवरलाल की तरह धन, पदार्थ और दैहिक आकषणों के पीछे नटवर नृत्य करता रहता है ।स्वयं को आत्मा समझने से मन के भटकाव की यात्रा समाप्त हो जाती है ।राजयोग मेडिटेशन के प्रतिदिन 15 मिनट अभ्यास से मन का भटकाव धीरे-धीरे बंद हो जाता है तथा मन में श्रीकृष्ण के समान सुंदर मनोभाव की अभिव्यक्ति होने लगती है ।कार्यक्रम को सफल बनाने में बी के प्रतिभा, बी के सीता, सरोज, कविता, दीपशिखा, पूजा,रंजना,गोपाल, अवधेश भाई अन्य भाई बहने शामिल रहे।