मुसाफिरखाना: न्याय, सच्चाई व बलिदान का प्रतीक है ईमाम हुसैन की शहादत

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विधान केसरी समाचार

मुसाफिरखाना/अमेठी। 1400 साल पहले कर्बला के मैदान में शहीद हुए ईमाम हुसैन व उनके 71 साथियों की याद में सोमवार को अंजुमन सिपाहे हुसैनी भनौली सादात की कयादत में अरबईन का जुलूस निकाला गया। नौहख्वानी व मातम करते हुए अजादारों ने ईमाम का ताबूत निकाला। सुबह से ही मजलिसों का सिलसिला शुरू हो गया। इससे पहले जियारत-ए-अरबईन हुई, जिसमें सैकड़ों लोगों ने शिरकत की। बड़े इमामबाड़े से जुलूस छोटे ईमाम बारगाह व दरगाह-ए-आलिया होकर अपने तयशुदा मार्ग से शाम को कर्बला पहुंचा। यहां पर अजादारों ने ताजिए को सुपुर्द-ए-खाक। उसके बाद अंजुमन के नौजवानों ने अलविदाई नौहा पढ़कर बीवी जनाब फातेमा जहरा को उनके लाल का पुरसा दिया। बता दें कि मैदान-ए-कर्बला में शहीद हुए ईमाम हुसैन व उनके 71 अनुयायियों की शहादत के चालीस दिन बाद चेहल्लुम मनाने की परंपरा सालों से चली आ रही है। आशूरा के चालीस दिन बाद अरबईन के अवसर पर श्रद्धालु कर्बला (ईराक) जाते हैं और ईमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। ईमाम हुसैन का जीवन और शहादत न्याय और सच्चाई के प्रति समर्पण का प्रतीक है।