यह बदलें की नहीं बदलाव की जंग है पंडित जी
लगातार अधिकारों से वंचित किए जा रहे अतिपिछड़े तो ऐसे लोग हैं कि धार्मिक स्थलों पर चोरी तो क्या अपने जीवन भर की कमाई लूटा देते हैं।
ईश्वर के नाम पर तो भाई की जान भी लेने से पीछे नहीं हटता और आप इन्हें सनातन और शास्त्रों का विरोधी बताते हैं। पुष्पेन्द्र भाई धर्म शास्त्रों से नहीं अधिकारों से है शासक वर्ग की जीवन में एक बार सत्यता स्वीकार करके तो देखो
हिम्मत की तों बनोगे एतिहासिक वरना तुम्हें कौन नहीं जानता
आज मैं एक कर्म शिक्षा सम्मान और प्रचारक व्यवस्था के धनी और अपनी जातिगत योग्यता से पूर्ण एक पक्षीय ज्ञान रखने वाले पुष्पेन्द्र पंडित का लेख पढ़ रहा था जिसमें अति पिछड़ों के शासक होने पर तर्क के साथ लिखकर कारण पूछा है और इतिहास पर शंका जताई है मेरे द्वारा पुष्पेन्द्र जी को जबाब दिया गया है कि आपके जैसे अच्छे लोग हजारों वर्षों तक पशुओं से भी घटिया जीवन जीने वाले शूद्र बताए जाने के बावजूद आज के कथित सनातनी हिन्दू धर्म के ठेकेदारों का इतिहास तो यह सरकारें अथवा घटिया मानसिकता के लोग खत्म नहीं कर सकें और न कर सकते हैं लेकिन इन्होंने हिंदू संस्कृति और सनातनी व्यवस्था पर मनगढ़ंत शास्त्रों और शासन का इस्तेमाल कर इस बड़ी आबादी के वोट लेकर सत्ता हासिल की और फिर इन्हीं के अधिकारों का हनन कर सरकार बनाकर ऐसा भेदभाव किया कि ईश्वर भी शर्मा जाए ,कि यार क्या ये पाखंडी भोले भाले अतिपिछड़ों की आबादी चालीस प्रतिशत होने के बावजूद लैटरल एंट्री में चार सौ ज्वाईंट सेकेट्री ज्वाईंट सेकेट्री, केंद्रीय राज्य यूनिवर्सिटी में वीसी प्रो नियुक्ति, कोलेजियम को मजबूती और इन्हें रोहिणी आयोग सामाजिक न्याय समिति काका कालेलकर आदि तमाम आयोग में फंसाकर खुद से दर्जनों स्वयं भू घोषित ओबीसी को आरक्षण में शामिल कर वास्तविक हकदारों को सुविधाओं से वंचित रख डराने का प्रयास किया है और किया जाता रहा है।
पहले मंडल कमंडल का खेल खेलकर पिच्चासी को पंद्रह पर खड़ा किया उसमें भी कथित ओबीसी तैयार कर पंद्रह भी उनके हवाले कर डाला फिर आयोग बनें,लेकिन चोर तो चोर होता है और डर का मारा कितना भागें कि तर्ज पर विनेश भईया जैसे लोग पैदा हो गये और बाबा साहेब की कृपा से वोट की जनसंख्या और किमत समझ कर सनातन या हिंदू के नहीं इनके द्वारा बीते बीस साल में रची गई स्वयं भू सनातनी व्यवस्था को समझ कर कांशीराम जी द्वारा बहुजन समाज पार्टी ,मुलायम सिंह यादव जी द्वारा समाजवादी पार्टी ,संजय निषाद द्वारा निषाद पार्टी, आरा जे डी, अपना दल जन सेवा दल,भीम आर्मी सुहेलदेव पार्टी, निषाद पार्टी जैसे दलों ने खड़ा होकर इन धर्म राजनीति और सरकार के ठेकेदारों के बीच न सिर्फ हलचल मचा दी बल्कि इन्हें बता दिया कि बेटा अब तक तुम्हारे द्वारा सोची समझी रणनीति के तहत टुकड़ों में बांटे गए अतिपिछड़ी जातियों के लोग अपने इतिहास को पढ़कर धर्म के साथ समाज और जाति का मर्म समझ कर शासन सत्ता चाहते हैं और तुम जैसे सियासत के माफियाओं के चक्कर को जानकर अपना झंडा और डंडा लेकर सरकारी कुर्सी की ओर दौड़ पड़े हैं इसलिए देश में बाबा साहेब द्वारा बनाए गए संविधान और वोट के अधिकार की बदौलत सत्ता हासिल करने निकल पड़े हैं जिसमें विनेश भईया भी एक दल की स्थापना कर जनसंख्या अनुपात में अपने ही नहीं सभी अतिपिछड़ी जातियों के लिए हिस्सेदारी छीनने निकला है जिसे तुम्हारी जेल रेल मौत या डर नहीं केवल हिस्सेदारी देकर रोकी जा सकती है इसलिए आप जैसे यानि पंडिताई का पुस्तैनी प्रजावट का काम करने वालों हम नंदवंशी सूर्यवंशी मौर्यवंशी चमर वंशीय तुमसे गुमराह न होकर सत्ता हासिल करने का रास्ता जान गए हैं। इसलिए इतिहास बताता है कि मनुस्मृति ने हमें कैसे राजा से रंक बनाया और संविधान ने हमें फिर शासक बनने की ओर दौड़ा दिया हां इस जैसे प्रजावट का काम करने वाले को बता सकता हूं कि अब हम आपसे नाराज़ तो नहीं है क्योंकि सामाजिक व्यवस्था में भले ही तुम हमारे शुभचिंतक न बन सको लेकिन सरकार में जहां आप लोगों की आवश्यकता रहेगी वहीं मनी मिडिया सेना और टैक्स पेयर कहा से लाएंगे इस लिए अब ये अतिपिछड़ी जातियों के चालीस प्रतिशत वोट बेईमान न होकर चालीस प्रतिशत हिस्सेदारी लेकर रहेंगे जिसे मृत्यू भी नहीं रोक सकती। क्योंकि ऐसे लोगों की संख्या एक दो तीन नहीं बल्कि एक दो करोड़ है और इतने लोगों की जान एक साथ नहीं जा सकती है इसलिए सब जानते हैं धर्म संस्कृति देश मान सम्मान पूजा पाठ सभी का निजी मामला है शासन सत्ता हासिल करना संवैधानिक अधिकार और देश प्रेम का प्रमाण पत्र किसी से नहीं लेना है उसमें हम कही पीछे नहीं है सत्ता की आवश्यकता है जिसमें सभी का मंगल हों और आप लोग भी अपनी जनसंख्या अनुपात में किसी क्षेत्र में वंचित न रहे आप लोग पूजा पाठ, वैश्य समाज टैक्स पेयर के व्यापार, और क्षत्रिय सुरक्षा और इतिहास के अनुसार चौथे वर्ण वाले शासक बने रहे क्योंकि यह हठधर्मी या कट्टरवाद के नहीं इन्सानियत के पुजारी हैं न्याय करना इनके ख़ून में शामिल हैं इस लिए पुष्पेन्द्र जी यदि हिम्मत है तो ब्राह्मण होने नाते एक बयान सच्चाई पर आधारित ऐसा भी जारी करें कि हमारी बेईमानी के कारण ही सनातनी व्यवस्था व मनुवादी शास्त्रों के विरुद्ध देश के अतिपिछड़े, सनातनी व्यवस्था से नाराज हुए हैं और यह हमारे सामाजिक घोटाले पकड़ कर स्वयं शासन सत्ता की ओर दौड़ना सीख गए हैं एक बार स्वीकार करें कि संवैधानिक युग में शपथ लेने वाले लोग व्यवस्था का बंटाधार करने में कितने मस्त है कि कहीं धर्म अधर्म के साहरे तो अधिकारों की बेईमानी कर मूलभूत सुविधाओं पर भी कुठाराघात करने में मस्त है इन संगठनों और सरकार को बताओं कि अभी भी समय है तुम लोग येन केन प्रकरेण शासन सत्ता इनके हवाले कर पूजा पाठ में लगो शासक वर्ग के लोग किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।
विनेश ठाकुर, सम्पादक
विधान केसरी ,लखनऊ