उन्नाव: जो सत्य सनातन धर्म के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दे, उसे परमात्मा की गोद प्राप्त होती
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उन्नाव। जिले के बांगरमऊ नगर के मोहल्ला न्यू कटरा स्थित माँ दुर्गा देवी मंदिर प्रांगण में आयोजित श्री मद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस अयोध्या के कथा व्यास आचार्य पुरुषोत्तम त्रिवेदी ने कहा कि जिन गायों के लिए गोविंद अवतरित होते हैं, आज उनकी दुर्दशा देखकर मन विचलित हो जाता है।भागवताचार्य पुरुषोत्तम त्रिवेदी ने महाभारत कथा का वर्णन करते हुए कहा कि धृतराष्ट्र का अर्थ किसी अन्य के न्यास पर अनाधिकृत कब्जा करना बताया। उन्होंने कहा कि वह धृतराष्ट्र तो नेत्र विहीन था। किंतु आज के समाज में तमाम आंख वाले भी धृतराष्ट्र की भूमिका निभाते मिल जाएंगे। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी थी। यदि पट्टी न बंधी होती तो शायद दुरूशासन द्रोपदी का चीरहरण न करता और तब शायद महाभारत भी नहीं होता। उन्होंने सुख और दुख की विस्तृत व्याख्या की।
कहा कि जब सबकुछ अपने अनुकूल हो तो सुख है और प्रतिकूल परिस्थितियां ही दुःख हैं। इसके अतिरिक्त जिस क्षण परमपिता परमात्मा की याद आए तो सुख और परमात्मा मानस पटल से विस्मृत हो जाए तो दुःख है। उन्होंने रामचरित मानस में विशिष्ट पात्र जटायु की भूमिका की जमकर सराहना की और कहा कि जो सत्य सनातन धर्म के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दे, उसे परमात्मा की गोद प्राप्त होती है। अंत में कथा व्यास आचार्य त्रिवेदी ने हारमोनियम की मधुर ध्वनि और तबले की थाप के साथ अपनी सुरीली आवाज में ष् मुस्कराते रहो, गुनगुनाते रहो, जीवन संगीत है सुर सजाते रहो ष् कीर्तन प्रस्तुत कर श्रद्धालु श्रोता भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कथा समाप्ति पर परीक्षित की भूमिका निभा रहे सुरेश तिवारी ने राधा-कृष्ण की आरती तथा सभसद हरिओम तिवारी,सर्वेश तिवारी,श्रीकांत अग्निहोत्री, सुरेश दीक्षित व विनोद दीक्षित ने श्रोता भक्तों को प्रसाद वितरित किया।