संग्रामपुर: भागवत कथाः राजा परिक्षित संवाद व महराज शुक के आगमन का हुआ वर्णन
विधान केसरी समाचार
अमेठी। संग्रामपुर के बड़गांव में साहू परिवार द्वारा चल रही अमृत वर्षा रूपी भागवत कथा के दूसरे दिन व्यास गद्दी पर बैठे रजत रसराज महाराज ने राजा परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए उनके वन गमन की कथा सुनाते हुए कहा कि एक दिन महाराज परीक्षित समीक ऋषि के आश्रम के पास प्यास लगी तो उन्होंने ऋषि को पुकारा लेकिन समीक ऋषि ध्यान में मग्न से और उन्होंने अनसुना कर दिया जिसपर महराज परीक्षित नाराज होकर मृत सांप को ऋषि के गले में डाल दिया यह देखकर कर समीक ऋषि का पुत्र सात दिवस के अन्दर तक्षक नाग से डंसने से मृत्यु हो जाने का श्राप दे दिया।जब समीक ऋषि ने अपने अन्दर ध्यान से देखा कि कलयुग का प्रवेश उनके मुकुट में हो गया है।और इसी कारण यह प्रतापी राजा ऐसा कृत्य कार्य किये है।जब महराज ने अपना मुकुट सिर से उतारा तो उन्हें बड़ा पश्चात हुआ।
यही सोच रहे थे कि ऋषि समीक का आगमन महल में हो गया और उन्होंने बताया कि श्राप वापस नहीं हो सकता है लेकिन सात दिवस मे भगवान का नाम भागवत कथा के माध्यम से लिया जाय तो मृत्यु से डर नहीं लगेगा। ऋषि समीक के आदेश पर महराज परीक्षित ने अपना साम्राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंप कर गंगा नदी के किनारे महराज शुकदेव से अमर कथा सुनी।आज इस कथा को सुनकर भक्त भावविभोर हो गये और पूरा पंडाल भगवान से जयकारों से गूंज उठा।इस कथा कार्यक्रम में आज शिव पाण्डेय बड़गांव, कवि राम बदन पथिक,राम चंदर सिंह, जयकरन सिंह, अनिल सिंह, राम कृष्ण यादव सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।