शीशगढः कारसेवा से बना कच्चा बाँध नदी में वह गया,किसानों के अरमानों पर फिरा पानी
विधान केसरी समाचार
शीशगढ़। पश्चिमी वहगुल नदी पर खमरिया गाँव के पास पिछले 20दिनों की कड़ी मेहनत से किसानो ने कच्चा बाँध बनाया था।वह बाँध शुक्रवार की रात्रि नदी में वह गया।जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया।बाँध वहने से किसानों की मेहनत के साथ ही लाखों रुपए का नुकसान हो गया है।अब किसान दोबारा से बाँध बनाने की रणनीति बना रहे हैं।
वताते चले कि पश्चिमी वहगुल नदी पर अंग्रेजी शासन काल में बना पक्का रेगुलेटर बाँध दो दशक पूर्व टूट गया था।जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं।पक्का बाँध टूटने के बाद क्षेत्रीय किसानों ने शासन व प्रशासन से बाँध निर्माण को वर्षों गुहार लगाने के साथ ही पैदल मार्च करके तहसील मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन भी किया था।जिलाधिकारी से लेकर नगर विभाग के अधिकारियो ने टूटे बाँध का निरीक्षण कर शासन को रिपोर्ट भी भेजी थी।मगर पक्का बाँध नहीं बन सका। तब किसानों ने पूर्व विधायक जयदीप सिंह बरार के संरक्षण में किसान कल्याण समिति का गठन किया और 16वर्ष किसानों ने कार सेवा से कच्चे बाँध का निर्माण किया।कच्चे बाँध से रामपुर जिले की तहसील बिलासपुर और बरेली जिले की तहसील बहेड़ी और मीरगंज में आने बाले 165 गाँवो के किसान अपनी फसल की सिंचाई करते हैं।
पक्के बाँध के निर्माण को 57करोड़ रुपए की स्वीकृति हो चुकी है
पक्के बाँध के निर्माण को पूर्व सांसद बरुण गाँधी ने अपने संसदीय कार्यकाल में शासन से 57करोड़ रुपए की स्वीकृति कराई थी।स्वीकृति होने के बाद कुछ खामियों के कारण स्वीकृत पैसा शासन को वापस हो गया था।पैसा शासन को वापस होने के आज तक पक्के बाँध का निर्माण नहीं हो सका।
कच्चे बाँध को वर्षा ऋतु में काटना पड़ता है
किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक जयदीप सिंह बरार ने वताया कि यदि कच्चे बाँध को वर्षा ऋतु में नहीं काटेंगे तो आसपास के गाँव नदी में वह जाएंगे।इसलिए प्रतिवर्ष कच्चे बाँध का निर्माण करते हैं।और वर्षा ऋतु को बाँध को काट देते हैं।
82 वर्षीय किसान नेता के जज्बे को सलाम
बताते चले कि पूर्व विधायक जयदीप सिंह बरार अव 82वर्ष को हो चुके हैं।जिनके जज्बे को क्षेत्रीय लोग सलाम करते हैं कि इतने वृद्द होने के बावजूद पूर्व विधायक किसानों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कच्चे बाँध का निर्माण करते हैं। जो किसानों के सुख दुःख में हमेशा साथ खड़े रहते हैं।