बलिया: खेतों में परालीध्फसल अवशेष जलाने पर लगेगा जुर्माना
विधान केसरी समाचार
बलिया। जनपद के समस्त कृषकों को सूचित करते हुए उप कृषि अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने बताया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के कड़े निर्देशानुसार सेटेलाइट के माध्यम से खेतों की लगातार निगरानी हो रही है। पराली जलाने पर सेटेलाइट द्वारा सम्बन्धित खेत का विवरण रिकार्ड कर लिया जाएगा और आपको अनावश्यक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। किसान भाई फसल अवशेष कदापि न जलाएं, अपितु उसे मिट्टी में मिलाकर खाद के रूप् में परिवर्तित करें। अवशेषों से खाद बनाये, मृदा का कार्बन अंश बढ़ाएं’।
उच्चतम न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा फसल अवशेष को खेतों में जलाना दंडनीय अपराध घोषित है। नये शासनादेश के अनुसार परालीध्फसल अवशेष जलाने पर अर्थदंडध्पर्यावरणीय वसूली जिसमें 02 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों से रुपये 5000ध्- का जुर्माना प्रति घटना। दो से 05 एकड़ भूमि वाले किसानों से रू0 10000ध्- का जुर्माना प्रति घटना। पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों से रू0 30000ध्- का जुर्माना प्रति घटना।
’’पोषक तत्व धुऑ बन जाए, तब कैसे खेती हो पाए’’ एक टन धान के फसल अवशेष जलाने से 30 किग्रा0 कणिका तत्व, 60 किग्रा0 कार्बन मोनो आक्साइड, 1460 किग्रा0 कार्बन डाई आक्साइड, 199.0 किग्रा0 राख एवं 2.0 किग्रा0 सल्फर डाई आक्साइड अवमुक्त होता है। इन गैसों के कारण सामान्य वायु की गुणवत्ता में कमी आती है, जिससे ऑखों में जलन एवं त्वचा रोग तथा सूक्ष्म कणों के कारण जीर्ण हृदय एवं फेफड़ों की बीमारी के रूप में मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। श्वसन तंत्र प्रभावित होने के कारण गंभीर बिमारियॉ हो सकती है। पशुओं के चारे की व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। निराश्रित गो आश्रय स्थलों को पराली दान करें, जो सर्दियों में उनके चारे व बिछावन में उपयोग हो सकती है। फसल अवशेष नहीं जलाये, फसल अवशेष का कम्पोस्ट बनाए। किसान अपने खेतों मे फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, श्रब मास्टर, पैडी स्ट्राचापर, श्रेडर, मल्चर, रोटरी स्लेशर, हाइड्रोलिक रिवर्सेबुल एम.बी. प्लाऊ, बेलिंग मशीन, क्राप रीपर, स्ट्रा रेक, रीपर कम बाइण्डर का अवश्य प्रयोग करें। फसल अवशेष प्रबंधन के अंतर्गत इन-सीटू योजना में यंयत्रों का सुगमता से उपलब्ध कराने हेतु कस्टम हायरिंग केन्द्र एवं फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किये गये है। यहॉ से किसान भाई किरायें पर यंत्र प्राप्त कर अपने खेत की पराली का प्रबन्धन कर सकते है।’फसल के डंठल नहीं जलाए, पलट के मिट्टी वहीं सड़ाए। फसल अवशेषों को जलाने से उनके जड़, तना, पत्तियों, संचित लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। फसल अवशेषों को जलाने से मृदा ताप में बढ़ोत्तरी होती है जिसके कारण मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। खेतों मे यदि आग लगाए, मित्र किट भी सब जल जाए।