मणिपुर हिंसा को लेकर एक्शन में गृह मंत्रालय
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मणिपुर में हुई हिंसा से जुड़े तीन मामलों को अपने हाथ में ले लिया है. इन घटनाओं के कारण कई लोगों की जान गई और सार्वजनिक व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हुआ. गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी आदेश के बाद एजेंसी ने मणिपुर पुलिस से ये मामले अपने हाथ में ले लिए हैं.
राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन की ताजा घटनाएं शनिवार रात को हुईं. जिरीबाम जिले में उग्रवादियों द्वारा तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या कर दिये जाने से आक्रोशित लोगों ने 16 नवंबर को राज्य के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के आवासों पर हमला किया था. उसके बाद से यहां अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया.
इस्सी बीच नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने रविवार को यह दावा करते हुए हिंसा प्रभावित मणिपुर की भाजपा नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया कि एन बीरेन सिंह शासन इस पूर्वोत्तर राज्य में संकट का समाधान करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से नाकाम रहा है.
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के सात विधायक हैं और समर्थन वापसी से सरकार के स्थायित्व पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि भाजपा के पास अपने 32 विधायकों के साथ सदन में पूर्ण बहुमत है. भाजपा को नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के पांच और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के छह विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है.
अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने इंफाल घाटी के विभिन्न जिलों में एक वरिष्ठ मंत्री समेत तीन और भाजपा विधायकों तथा एक कांग्रेस विधायक के आवास में आग लगा दी, जबकि सुरक्षा बलों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक घर पर प्रदर्शनकारियों की हमले की कोशिश को विफल कर दिया. एनपीपी ने पत्र में कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार संकट का समाधान करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है.’’
मणिपुर में फैली हिंसा को लेकर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ न्याय चाहता हूं, चाहे मणिपुर पर कोई भी शासन करे. प्रधानमंत्री वहां नहीं गए और मणिपुर के लोग महीनों, सालों से परेशान हैं. प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं? वे पूरी दुनिया, पूरे महाराष्ट्र और झारखंड में घूम रहे हैं. लेकिन वे मणिपुर नहीं जा रहे हैं. राहुल गांधी वहां गए. उन्होंने वहां से मुंबई, महाराष्ट्र तक अपनी पदयात्रा शुरू की. श्री मोदी कहां हैं? उनके पास वहां जाने के लिए कोई चेहरा नहीं है… मैं केंद्र सरकार के रवैये की निंदा करता हूं.”