आतंकी यासीन मलिक को जम्मू कोर्ट में पेश करने को केंद्र सरकार नहीं तैयार

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केंद्र सरकार ने आतंकी यासीन मलिक को मुकदमे के लिए जम्मू की कोर्ट में ले जाने का विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जेल में ही विशेष कोर्ट बनाने पर विचार करेगा. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह मामले से जुड़े दूसरे आरोपियों को भी पक्ष बनाकर नई याचिका दाखिल करे. 28 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 2022 से लंबित है. तब सीबीआई ने जम्मू की विशेष टाडा कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी थी, जिनमें दो अलग-अलग मामलों में यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश करने के लिए कहा गया था. जम्मू की कोर्ट ने सितंबर 2022 में यह प्रोडक्शन वारंट रुबिया सईद अपहरण केस और वायु सेना के चार अधिकारियों की हत्या के केस में जारी किए थे.

सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद मलिक को सुरक्षा कारणों से जम्मू नहीं ले जाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में ही जम्मू कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. गुरुवार, 21 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने मामले को सुना. सीबीआई और केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा यासीन मलिक कोई साधारण आतंकवादी नहीं है. उसके पाकिस्तान में बड़े संपर्क हैं. सुरक्षा कारणों से उसे जम्मू ले जाना सही नहीं होगा. इस पर जस्टिस ओका ने कहा, ‘अगर वह कोर्ट में पेश नहीं होगा, तो उसका क्रॉस एग्जामिनेशन कैसे होगा? यह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से नहीं हो सकता. वैसे भी जम्मू में इंटरनेट नेटवर्क बहुत अच्छा नहीं है’.

जस्टिस ओका ने यह भी कहा कि ‘इस देश में अजमल कसाब को भी फेयर ट्रायल (उचित प्रक्रिया से मुकदमा) दिया गया’. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘यह मामला ऐसा नहीं, जिसमें कानून की किताबों में लिखी सारी बातों का हूबहू पालन किया जाए. हमने यह पेशकश की थी कि कोर्ट में यासीन मलिक के कानूनी प्रतिनिधित्व का बंदोबस्त किया जाएगा, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं है. खुद जम्मू जाना चाहता है’.

मेहता ने आगे कहा, ‘मामले में गवाहों की सुरक्षा को लेकर भी हमें चिंता है. पहले एक गवाह की हत्या भी हो चुकी है’. इस पर जजों ने कहा जेल में ही विशेष कोर्ट बनाने पर विचार किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए दूसरे आरोपियों को भी सुनना होगा. तुषार मेहता ने कहा कि वह सभी आरोपियों को पक्ष बनाते हुए संशोधित याचिका दाखिल करेंगे. कोर्ट ने उनसे एक सप्ताह के भीतर ऐसा करने को कहा.