अमेठी: सुनो सरकारः अन्नदाता के साथ हो रहा अत्याचार

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विधान केसरी समाचार

अमेठी । जिले में डीएपी खाद को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, किसान सुबह से ही पंक्तिबद्ध होकर डीएपी के लिए लाइन लगा लेते हैं लेकिन घंटों लाइन लगाने के बाद भी उनको डीएपी खाद नहीं मिल पा रही है। गुरुवार को संग्रामपुर क्षेत्र के राजकीय धान क्रय केंद्र गोरखापुर में डीएपी खाद का वितरण किया गया जिसमें मात्र 70 किसानों को डीएपी दी गई शेष सैकड़ो किसानों को डीएपी नहीं मिली और वह खाली हाथ घर चले गए। क्षेत्र के पूरे पाठक मजरे गोरखापुर की महिला किसान ने बताया कि डीएपी खाद वितरण की जानकारी मिली तो मे अपने ग्रामसभा में स्थित राजकीय धान क्रय केंद्र गोरखापुर में डीएपी खाद के लिए लाइन लगाई लेकिन हमारा जब नम्बर आया तो पता चला कि डीएपी खाद केंद्र पर नहीं है।

महिला किसान ने बताया की हम लोगों को डीएपी नहीं मिली हम लोग निराश होकर घर जा रहे हैं। महिला किसान मंजू यादव पूरे दुबान ने बताया कि इससे पहले खाद वितरित की गई तो हमें डीएपी नहीं मिली थी और आज भी आई हूं लेकिन हमें डीएपी नहीं दी गई हमारे खेतों की। बुवाई करना है डीएपी नहीं मिली तो खेतों की नमी समाप्त हो जाएगी और बुवाई नहीं हो पायेगी। अन्नदाता अर्जुन प्रसाद ने बताया कि मेरा घर रामगढ़ है इस केंद्र पर जितनी बार खाद वितरण हुआ उतनी बार हम लाइन लगाकर केंद्र पर खड़े रहे और आज यही स्थिति हुई कि आज भी हमें वापस खाली हाथ लौटना पड़ा। क्षेत्र के सरैया बड़गांव निवासी राकेश यादव ने बताया कि हमें अन्नदाता की उपाधि दी जाती है और हमारे सहयोग में धोखा दिया जाता है । गेहूं बुवाई आ गई है लेकिन डीएपी न मिलने से बुवाई रूकी पड़ी है। सुबेदार का पुरवा निवासी किसान का कहना है कि क्षेत्र के कई केंद्र पर जाकर डीएपी के लिए लाइन लगाया लेकिन अभी तक डीएपी नहीं मिली । जानकारी मिलते ही हम सारे काम छोड़कर केंद्र पर लाइन लगा लेते हैं । लेकिन हमारा नंबर आता है तो जानकारी मिलती है कि डीएपी खाद समाप्त हो चुकी है और आज इस केंद्र पर भी ऐसा ही हुआ है। डेहरा निवासी राम लाल यादव ने कहा सरकार चुनाव के समय अन्न दाता कहती हैं लेकिन हमारी और सभी अन्नदाता की एक ही आंकाक्षा रहती कि बिजली पानी व खाद। समय से सरकार सहयोग करें लेकिन जितनी भी सरकारें आती है उनके डीएपी उपलब्ध कराने में दावे फेल हो जाते हैं। केंद्र प्रभारी निर्भय सिंह ने बताया कि 100 बैग डीएपी का केंद्र गोरखा पुर को मिला था , जो लगभग 70 किसानों में वितरित कर दी गई है।