जापान में ऐतिहासिक सफलता: सुअर की किडनी बंदर में ट्रांसप्लांट
विज्ञान ने ऐसी ऊंचाइयों को छुआ है जो कभी इंसान के लिए कल्पना से परे थीं. खासकर हेल्थ सेक्टर में विज्ञान ने कठिन समस्याओं को हल करने में बड़ी सफलता हासिल की है. इसी कड़ी में जापानी स्टार्टअप पोर्मेडटेक ने सोमवार (25 नवंबर) को घोषणा की कि उन्होंने आनुवंशिक रूप से संशोधित सुअर की किडनी को एक बंदर में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया है. ये जापान में पहली बार हुआ है और ये भविष्य में इंसानों में जानवरों के शरीरों के अंगों के उपयोग के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।.
कागोशिमा यूनिवर्सिटी के हिसाशी सहारा और क्योटो प्रीफेक्चरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के मासायोशी ओकुमी के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने इस प्रक्रिया को अंजाम दिया. 7 साल के बंदर को ट्रांसप्लांट की गई. जानकारी के अनुसार किडनी एक 2½ महीने के सुअर से प्राप्त की गई थी. सुअर के जीन को इस प्रकार संशोधित किया गया था कि वायरस संक्रमण और इम्यून सिस्टम का खतरा कम किया जा सके.
शोधकर्ताओं ने सोमवार दोपहर तक पुष्टि की कि बंदर की हालत स्वस्थ है और उसकी किडनी सही तरीके से काम कर रही है. एक शोधकर्ता ने बताया, “हम जेनोट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र में लगातार प्रगति करना चाहते हैं और इसके व्यावहारिक उपयोग के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहते हैं.”
पोर्मेडटेक ने फरवरी 2024 से अब तक 39 डोनर सूअरों का उत्पादन किया है. ये प्रक्रिया यूएस-आधारित बायोटेक स्टार्टअप ईजेनेसिस से आए कोशिकाओं का उपयोग करके पूरी की गई. आनुवंशिक रूप से तैयार किए गए भ्रूण को सरोगेट मदर सूअरों में ट्रांसफर कर क्लोन पिगलेट तैयार किए गए. कंपनी के पास अब 13 आनुवंशिक रूप से संशोधित सूअर हैं और वे इनका इस्तेमाल प्राइमेट्स पर और ट्रांसप्लांट में करने की योजना बना रहे हैं.
इस शोध ने जेनोट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र में नए दरवाजे खोल दिए हैं. आने वाले समय में ये तकनीक इंसानों के शरीर के अंगों की कमी को दूर करने और गंभीर बीमारियों का समाधान ढूंढने में अहम भूमिका निभा सकती है.