प्रतापगढः प्रदेश में पाली हाऊस में सब्जियों एवं फूलों की हो रही है खेती

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विधान केसरी समाचार

प्रतापगढ़। प्रदेश में वर्तमान में बेमौसम सब्जियों की उपलब्धता बाजारों में हो रही है। इसका कारण है कि सब्जियों को बाँछित तापमान व आवश्यक मौसम देते हुए पॉली हाउस में सब्जियों की फसल बोकर उत्पादन किया जा रहा है। पॉली हाउस एक विशिष्ट आकार की संरचना होती है, जिसको 200-400 माइक्रॉन मोटाई वाली पराबैगनी किरणों से अवरोधी, सफेद रंग की पारदर्शी प्लास्टिक चादर से ढका जाता है। पॉलीहाउस का आकार इतना बड़ा बनाया जाता है कि इसमें आसानी से अंदर जाकर परिकर्षण क्रियायें की जा सकें। पॉलीहाउस का निर्माण जी.आई.पाइप, बांस एवं लकडी की सहायता से किया जाता है। जीआई पाइप द्वारा बनाया गया पॉलीहाउस 20-25 वर्ष तक टिकाऊ होता है, जबकि बांस व लकड़ी से बना पॉलीहाउस 3-4 वर्ष तक ही टिकाऊ रह सकता है। पॉलीथीन 2-3 वर्ष तक काम में लाई जा सकती है। इस प्रकार के पॉलीथीन में पारदर्शिता इतनी होती है कि लगभग 70-80 प्रतिशत सूर्य का प्रकाश मौसम के हिसाब से छनकर फसलों को मिलता है। प्रदेश में उन्नतशील कृषकों द्वारा पॉलीहाउस बनाकर खेती की जा रही है। पॉलीहाउस का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य से किया जाता है क्योंकि यह तकनीकी सामान्य खेती की अपेक्षा थोड़ी महंगी है। सब्जियों व फूलों की खेती में पॉलीहाउस की बड़ी महत्वपूर्ण उपयोगिता है। विपरीत दशाओं (बेमौसम) में सब्जियों व फूलों की खेती करना, फसलों को आवश्यक एवं संरक्षित वातावरण प्रदान करना, फसलों में लगने वाले कीड़े-मकोड़ों व रोगों से सुरक्षा, नर्सरी उगाने के लिये सर्वात्तम, प्रति इकाई क्षेत्र में उपज वृद्धि व जातियों का विकास एवं शुद्ध संकर बीज उत्पादन, फसल समय में परिवर्तन करना, अच्छे गुणवत्तायुक्त उत्पाद, कृषि फसल परीक्षण महत्वपूर्ण वरदान, शहरी एवं सीमांत किसानों के लिए यह विधि लाभकारी होती है।

पॉलीहाउस की कुछ सीमायें भी हैं जैसे पॉलीहाउस बनवाने में किसानों को पहले पूंजी ज्यादा लगानी पड़ती है, यह केवल व्यावसायिक एवं बागवानी फसलों की दृष्टि से ही उपयोगी है अन्य फसलों को उगाने के लिए पॉलीहाउस विधि का उपयोग नहीं किया जा सकता। पॉलीहाउस में फूलों की व्यावसायिक खेती करके किसान अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। प्रदेश में सब्जियों एवं फूलों का कम उत्पादकता का मुख्य कारण खेती का खुले वातावरण में किया जाना तथा कृषकों द्वारा सब्जी उत्पादन में परम्परागत विधियों एवं तकनीकों का अपनाया जाना है। खुले वातावरण में अनेक प्रकार के जीवित व अजीवित कारकों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाया जाता है। फलस्वरूप उनकी उत्पादकता एवं गुणवत्ता प्रभावित होती है। जीवित कारकों में मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार के रोग, अनेक प्रकार के कीड़े, विभिन्न प्रकार के भूजनित व वायुजनित कवक तथा जीवाणु प्रमुख है। ये जीवित कारक अधिकतर वर्षाकालीन मौसम में उगाई जाने वाली फसलों को अधिक नुकसान पहुंचाते है. जबकि अत्यधिक आर्द्रता विभिन्न प्रकार के कवक एवं जीवाणु जनित रोगों के प्रकोप में सहायक होती है। इसी प्रकार प्रकाश की कमी से पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया नहीं हो पाती है. जिसका प्रभाव पौधों की वृद्धि, विकास, उपज एवं गुणवत्ता पर पड़ता है। पॉलीहाउस खेती का मुख्य उदेश्य फसलों को जीवित या अजीवित कारकों से बचाकर प्रतिकूल वातावरण व प्रतिकूल परिस्थितियों में भी गुणवत्तायुक्त अधिक उत्पादन प्राप्त करना है।

पॉलीहाउस खेती विधि सामान्यतः परम्परागत खुले खेत की तुलना में 5 से 10 गुना अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। प्रतिकूल वातावरण में गुणवत्तायुक्त फसलों का उगाना, फसलों को लम्बी अवधि तक उगाकर फलध्सब्जियों की उपलब्धता को बाजार में निरन्तर बनाये रखा जाना, अधिक लाभ के लिए बे-मौसमी फसल उत्पादन प्राप्त करना, संरक्षित खेती के माध्यम से रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होते है। संरक्षित उत्पादन तकनीक विभिन्न प्रकार की जलवायु वाले क्षेत्रों में विभिन्न फसलों की पैदावार बढाने के लिए उपयोगी है। पॉली हाउस द्वारा फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीक मुख्यतः सब्जी व फूलों के उत्पादन हेतु उचित व उपयुक्त संरक्षित प्रौद्योगिकी की आवश्यकता इस क्षेत्र की जलवायु पर निर्भर करती है। इसके अतिरिक्त किसानों की आर्थिक स्थिति टिकाऊ व उच्च बाजार की उपलब्धता तथा बिजली की उपलब्धता आदि कारक भी इसको निर्धारित करते हैं। विभिन्न फसलों के वर्षभर बे-मौसम, स्वस्थ व रोग रहित पौध तैयार करने हेतु मुख्यतः वातावरण अनुकूलित पॉलीहाउस, प्राकृतिक वायु से चलित पॉलीहाउस, कम लागत वाली पॉलीहाउस, वाक-इन-टनल कीट अवरोधी नेट हाउस, लो टनल पॉलीहाउस आदि को आवश्यकतानुसार वर्ष भर उपयोग में लिया जा सकता है।

पॉलीहाउस के अन्दर खीरा, शिमला मिर्च और संकर टमाटर सहित अन्य सब्जियों की खेती सफलता पूर्वक की जाती है। फूलों के अन्तर्गत गुलाब, जरवेरा, लीलियम और कार्नेशन आदि की खेती प्रमुखता से की जाती है। पॉलीहाउस के अन्तर्गत फसलों की खेती की विधियाँ अलग-अलग होती हैं। प्रदेश में अधिकतर किसान सब्जियों में संकर टमाटर, शिमला मिर्च आदि की खेती करते है। हर फसलों के उत्पादन की तकनीकें अलग-अलग होती है। प्रदेश में पॉली हाऊस बनाकर सब्जियों, फूले की खेती कर किसान फसल उत्पादन कर रहे हैं। प्रदेश में पॉली हाऊस बनाकर सब्जियों, फूलों की खेती कर किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे है।