बाराबंकीः महादेवा महोत्सव में स्थानीय कवियों ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

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विधान केसरी समाचार

रामनगर/बाराबंकी। महादेवा महोत्सव में रविवार को स्थानीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ रामनगर ब्लाक प्रमुख संजय तिवारी एवं खंड विकास अधिकारी जितेंद्र कुमार नायब तहसीलदार अभिषेक कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया। इसके बाद आमंत्रित कवियों को माला पहनाकर अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

कवि सम्मेलन की शुरुआत कवियत्री अंकिता शुक्ला ने मां वीणा पाणि की बंदना हे हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी करुणा माई माता प्रस्तुत करके किया। कवि सम्मेलन के संयोजक मनोज मिश्र शीत ने अपनी कविता के माध्यम से महादेव महोत्सव के सभी कार्यक्रमों का बखान कर खूब तालियां बटोरी इसके अलावा उन्होंने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा यदु कुल के कुल की खोल सारी गांठ रहे हैं, पुश्तैनी इनके ऐसे ठाट बांट रहे हैं हिंदू अगर मरे तो देंगे नहीं छदाम, संभल में पांच पांच लाख बांट रहे हैं।
वरिष्ठ कवि डा0 अम्बरीष अंबर द्वारा बहू में बेटी नजर आए ननद भाभी पर इतराये, प्रीत में जहां रवानी है स्वर्ग की यही निशानी है राम की भव्य कहानी है। सुनाया तो पूरा संस्कृत पंडाल तालियों के गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

कवि डॉ सर्मेश शर्मा ने माता-पिता के आशीर्वाद का मर्म समझाते हुए कहा ,जमाना लाख दुश्मन हो हमारा कुछ न बिगड़ेगा हम अपने मां-बाप गुरु की दुआएं लेकर चलते हैं। इसके बाद मशहूर गीतकार प्रमोद पंकज ने गीत प्रस्तुत करते हुए कहा अज की अयोध्या के आंगन के अवधी के सच्चे सपूत बुध्दिबल ज्यो गनेश के पंकज प्रसून पुंज प्रेम का समर्पित कर बंदन करत नित कविवर और मृगेश को।

कवि अजय प्रधान ने माटी जो बनूं राम भक्तों की चरण रज उडता मै घूमू राम की राजधानी में अग्नि जो बनूं तो बसु आरती की बाती मध्य झूम झूम नाचू राम जी की अगवानी में सुन कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। इन कवियों के अलावा जगन्नाथ दीक्षित निर्दोष रोहित सिरफिरा शिवाजी अंत प्रकाश बिंदु विनीत शहर सुधाकर दीक्षित रणधीर सिंह मुकेश मिश्र आदि ने भी काव्य पाठ कर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस मौके पर भारी संख्या में लोग मौजूद थे।