लखनऊ: प्रशासन दे ध्यान तो शराबियों पर लगे लगामः चंद सिक्कों के लालच में भूल रहे जिम्मेदारी

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विधान केसरी समाचार

लखनऊ । राजधानी लखनऊ में जहां पर लगभग 1046 शराब की दुकाने पंजीकृत है इनसे सबसे ज्यादा राजस्व भी सरकार को प्राप्त होता है जिससे सरकार को तमाम कल्याणकारी योजनाओं के वित्तीय प्रबंधन हेतु बड़ा सहारा मिलता है।राजधानी लखनऊ में शराब की दुकानों पर होने वाली अनियमितताएं आए दिन सुर्खियां बनती हैं परंतु पुलिस प्रशासन एवं आबकारी विभाग कोई उल्लेखनीय कार्यवाही नहीं करता।

35%  महिलाओं की भागीदारी परंतु महिलाओं का ख्याल नहीं

लगभग 1046 में से 370 दुकानों का आवंटन महिलाओं के नाम पर संचालित है जो कि लगभग 35ः है परंतु समय से पूर्व एवं अवधि के बाद भी खुलने वाली दुकानों से एवं दुकान के बाहर लगने वाली शराबियों की भीड़ बेअंदाज खड़े वाहन अक्सर दुर्घटना एवं गंभीर घटना का कारण बनते हैं। सुबह के समय स्कूल आने जाने वाली बच्चियों कार्यशील महिलाओं को शराबियों के अपशब्द एवं गलत हरकतों का सामना करना पड़ता है।

एक दूसरे पर डालकर जिम्मेदारी बनते हैं अनजान

किसी जागरूक नागरिक द्वारा शिकायत करने पर अथवा खबर के माध्यम से सूचना प्राप्त होने पर आबकारी विभाग जांच कराने कार्यवाही का आश्वासन देता है परंतु कोई नतीजा नहीं निकलता इसी प्रकार पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता वीडियो सबूत की मांग की जाती है कई बार इस प्रकार के सबूत जुटाने के दौरान पत्रकारों जागरूक नागरिकों पर वसूली के आरोप भी लगते हैं । कुत्ता सबूत मिलने पर भी मामूली करवाई कर आबकारी विभाग से संबंधित मामला बताकर कर पल्ला झाड़ लेते हैं अभी चार दिन पूर्व ही तेलीबाग शनि मंदिर के पास सुबह 8 बजे बेखौफ शराब ठेकेदार द्वारा शराब बिक्री का वीडियो निरंतर वायरल हो रहा है।
सूत्रों के अनुसार पुलिस प्रशासन आबकारी नगर निगम सभी को उनका हिस्सा मिलता है इसलिए यह धंधा बिना रोक-टोक जा रही है जबकि कई बार मानक विपरीत नकली शराब तथा बाहरी शराब की बिक्री का मामला भी चर्चा में आता है।