अमेठीः श्रीमद्भागवत कथा: भगवान की बाल लीलाओं ने जगत का कल्याण किया
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अमेठी। भेंटुआ के थौरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा वाचक आचार्य उमेश त्रिपाठी जी ने अमर कथा के पांचवें दिन भगवान के बाल लीलाओं का सविस्तार वर्णन किया राक्षसी पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए आचार्य ने कहा कि पूतना राक्षसी भगवान श्रीकृष्ण को जहरीली दूध स्तनपान कराने गई थी लेकिन भगवान अपनी माया से राक्षसी का वध कर संसार का कल्याण किया।गाय के गोबर और गाय मूत्र से स्नान करके गाय के गोबर को भी इनकी बाल लीलाओं ने पवित्र बनाया।आज कोई भी शुभ काम में गाय के गोबर से लीपकर शुद्ध कर दिया जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण के मिट्टी खाने वाले चरित्र का वर्णन करते आचार्य ने कहा कि गोप बालकों ने जाकर यशोदा माता ने बताया कि मां तेरा लल्ला ने मिट्टी खाई है। यशोदा मैया हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आईं।और भगवान का मुख खुलवाया तो यशोदा मैया ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्दमान है। आकाश, दिशाएं,पहाड़, द्वीप, समुद्रो के सहित सारी पृथ्वी,बहने वाली वायु ,वैद्युत, अग्नि, चंद्रमा,और तारों के साथ सम्पूर्ण ज्योतिर्मण्डल,जल,तेज अर्थात प्रकृति, महत्त्व, अंहकार, देवगण, इंद्रियां मन बुद्धि त्रिगुण जीव काल कर्म प्रारब्ध आदि तत्व की मूर्ति,दिखने लगी।इसी प्रकार भगवान की इसी लीला में भारतवर्ष को जम्बूद्वीप से जाना जाने लगा।इसी बाल लीलाओं में यशोदा मैया को भगवान की पहचान हुई। ब्रज वासियों ने इंद्र को छोड़ कर गिर्राज की पूजा करने लगे इसपर कुपित होकर ब्रजवासियों पर मूसलाधार वर्षा की ।तब भगवान श्रीकृष्ण ने गिर्राज को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मान मर्दन किया।तब भगवान से इंद्र ने क्षमा मांगी।इसी प्रकार और कई प्रसंगों का वर्णन भागवत कथा के माध्यम से सुनाया गया।कथा के पांचवें दिन मुख्य यजमान कमलेश सिंह वीरेंद्र सिंह सहित परिजन व क्षेत्र वासी पवित्र पंडाल में आकर अमरकथा के पांचवें दिन भगवान की बाल लीलाओं का आनंद लिया।