बाराबंकी: श्रद्धालुओं को सुनाई श्रीकृष्ण की बाल लीला, माखन चोरी तथा गोवर्धन पूजा की कथा
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जैदपुर/बाराबंकी । मसौली चैराहे पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन में बाल व्यास परमपूज्य शशिकांत महाराज ने आज भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला, माखन चोरी तथा गोवर्धन पूजा की कथा श्रद्धालुओं को सुनाई।
उन्होंने कहा कि भगवान की लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक हैं। भगवान कृष्ण ने बचपन में अनेक लीलाएं की। बाल कृष्ण सभी का मन मोह लिया करते थे। नटखट स्वभाव के चलते यशोदा मां के पास उनकी हर रोज शिकायत आती थी। मां उन्हें कहती थी कि प्रतिदिन तुम माखन चुरा के खाया करते हो, तो वह तुरंत मुंह खोलकर मां को दिखा दिया करते थे कि मैंने माखन नहीं खाया। शास्त्री ने कहा कि भगवान कृष्ण अपनी सखाओं और गोप-ग्वालों के साथ गोवर्धन पर्वत पर गए थे। वहां पर गोपिकाएं 56 प्रकार का भोजन रखकर नाच गाने के साथ उत्सव मना रही थीं। कृष्ण के पूछने पर उन्होंने बताया कि आज के ही दिन देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होता है। इसे इंद्रोज यज्ञ कहते हैं। इससे प्रसन्न होकर इंद्र व्रज में वर्षा करते हैं, जिससे प्रचुर अन्न पैदा होता है।
भगवान कृष्ण ने कहा कि इंद्र में क्या शक्ति है। उनसे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसके कारण ही वर्षा होती है, अतरू हमें इंद्र से बलवान गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए। बहुत विवाद के बाद श्री कृष्ण की यह बात मानी गई और व्रज में गोवर्धन पूजा की तैयारियां शुरू हो गईं।
तीन लोक के स्वामी योगीराज श्रीकृष्ण चाहे दुनिया के लिए भगवान हो, लेकिन ब्रजवासियों के लिए सिर्फ नंद के लाला व माखन चोर के नाम से ही प्रसिद्ध है। द्वापरयुग में जब गोपियों ने माखन चोर कन्हैया को दही का दान नहीं दिया। तो उन्होंने उनकी मटकी फोड़ दी। हंसी- ठिठोली के बीच छीना झपटी में यशोदा नंदन ने दही का दान ने देने पर सखियों की दही से भरी मटकी फोड़ दी। अद्भुत लीला को सुनकर श्रद्धालु आनंद से भाव- विभोर हो उठे। कथा आयोजक मीरा देवी रामकिशोर यज्ञसैनी अभय आयुष ओम नितेश धर्मेन्द्र पूर्व प्रधान वैभव विनायक प्रतीक अभिषेक यज्ञसैनी अभय नीरज कुमार प्रधान आदि मौजूद रहे।